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वाणिज्यिक खनन की मंजूरी पर भड़के कोल श्रमिक

जासं, बीना (सोनभद्र) : केंद्र सरकार द्वारा कोल इंडिया में वाणिज्यिक खनन को मंजूरी दिए जाने से

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Feb 2018 08:54 PM (IST)Updated: Wed, 21 Feb 2018 08:54 PM (IST)
वाणिज्यिक खनन की मंजूरी पर भड़के कोल श्रमिक
वाणिज्यिक खनन की मंजूरी पर भड़के कोल श्रमिक

जासं, बीना (सोनभद्र) : केंद्र सरकार द्वारा कोल इंडिया में वाणिज्यिक खनन को मंजूरी दिए जाने से क्षुब्ध कोलियरी मजदूर सभा (एटक) से संबद्ध कोल श्रमिकों ने बुधवार को भारत सरकार का पुतला दहन कर जमकर नारेबाजी की। पुतला दहन के दौरान एटक बीना शाखा के सचिव अजय कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा लिया गया निर्णय निजी घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए है। सरकार के इस निर्णय से कोयला उद्योग में पुन: 1973 के पहले की स्थिति आ जाएगी, जो राष्ट्रहित व उद्योगहित में नहीं है।

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गौरतलब हो कि वर्ष 1973 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कानून बनाकर देश के कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण किया था। उसके बाद से सभी कोयला खदान कोल इंडिया लिमिटेड के पास थे। बाद में सरकार ने निजी क्षेत्र को कोयला खदान का आवंटन शुरू किया लेकिन वह सिर्फ उनके अपने इस्तेमाल के लिए होता था। वर्ष 2010 में कोयला आवंटन से जुड़े एक घोटाले के सामने आने के बाद इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट की अगुवाई में हुई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने आवंटित सभी 204 कोल ब्लाकों की नीलामी निरस्त कर दी थी। एटक सचिव ने कहा कि कोयला मंत्री पीयूष गोयल द्वारा यह कहा जाना कि कोयला क्षेत्र में अभी तक का यह सबसे बड़ा सुधार है। इससे कोयला क्षेत्र में मौजूदा कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर होगा। ज्यादा कोयला उत्पादन होने के साथ सभी को पर्याप्त कोयला मिलेगा। इससे बिजली की कीमत घटाने में मदद मिलेगी। यह वक्तव्य पूर्णतया निराधार होने के साथ श्रमिक विरोधी है। एटक संगठन सरकार के इस निर्णय पर हर संभव अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेगा। कोल श्रमिकों ने भारत सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पुतला दहन किया। इस दौरान इंद्रजीत पांडेय, राम प्रसाद गुप्ता, धीरेन्द्र यादव, वीरेंद्र ग्वाला, कृष्ण बिहारी, अनूप राम, अभिनव त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।


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