कोल माफियाओं की नजर रेलवे साइ¨डग की ओर
जागरण संवाददाता, बीना (सोनभद्र) : कोल परियोजनाओं को रेल नेटवर्क से जोड़ने की कवायद जोरो
जागरण संवाददाता, बीना (सोनभद्र) : कोल परियोजनाओं को रेल नेटवर्क से जोड़ने की कवायद जोरों पर जारी है। जिसे देख क्षेत्र में सक्रिय कोल माफिया रेलवे साइ¨डग को ओर निगाहें लगाये हुए हैं। कोयला चोरी के लिए रेलवे साइ¨डग सबसे मुफीद जगह बनती जा रही है। गतदिनों ऊर्जांचल दौरे पर आये पश्चिम मध्य व पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारियों के साथ ट्रैफिक रेलवे ने क्षेत्र के कई रेल स्टेशनों का व्यापक दौरा किया था।
अधिकारियों ने एनसीएल की कई कोल परियोजनाओं समेत रेलवे साइ¨डग का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने कोल परिवहन को रेल नेटवर्क से और मजबूत करने की विभिन्न ¨बदुओं पर गहन मंथन किया। उन्होंने अन्य स्थलों का भी निरीक्षण किया। जिन्हें रेल नेटवर्क से जोड़े जाने का प्रस्ताव भेजा गया है। अधिकारियों ने करैला- बीना-जयंत (केबीजी) प्रोजेक्ट के प्रगति का अवलोकन कर संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया। रेलवे की इस कवायद को देख क्षेत्र के कोल माफिया संभावित सभी रेलवे साइ¨डग की ओर पैनी निगाहें लगाये हुए हैं। कोयला चोरी के लिए सबसे सुरक्षित जगह अब रेलवे साइ¨डग ही मानी जा रही है। क्षेत्र के कुछ कोल ट्रांसपोर्टर भी कोयले के अवैध धंधे में अपनी गोटी फिटकर आसानी से कोयला चोरी कर वाराणसी चंदासी मण्डी में भेज रहे हैं। स्थानीय पुलिस इस धंधे में उनका खुलकर साथ दे रही है। माह जुलाई 2009 में क्षेत्र में कोयला चोरों के यहां पड़े सीबीआइ के छापा के बाद कोयला चोरी बंद हो गया था लेकिन अब फिर से कोल ट्रांसपोटरों व हाइवा चालकों के सहारे रात के अंधेरे में कोयले का काला खेल खेला जा रहा है। समय रहते संबंधित विभाग इस पर प्रभावी अंकुश नहीं लगा पाया तो आने वाले समय में परियोजनाओं को काफी क्षति उठानी पड़ेगी।