पराली जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति होती है प्रभावित
फसलों का अवशेष (पराली) जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है। इसके साथ ही मिट्टी में विद्यमान कार्वनिक जीवाश्म व लाभप्रद जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं। सदर ब्लाक परिसर में आयोजित कृषि यंत्र प्रशिक्षण शिविर में किसानों को संबोधित करते हुए सोनभद्र के सांसद छोटेलाल खरवार ने उक्त विचार व्यक्त किया।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : फसलों का अवशेष (पराली) जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है। इसके साथ ही मिट्टी में विद्यमान कार्वनिक जीवाश्म व लाभप्रद जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं। सदर ब्लाक परिसर में आयोजित कृषि यंत्र प्रशिक्षण शिविर में किसानों को संबोधित करते हुए सोनभद्र के सांसद छोटेलाल खरवार ने उक्त विचार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने से व्यापक पैमाने पर प्रदूषण फैल रहा है। इससे लोग तमाम बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने किसानों को फसल अवशेष संबंधी कृषि यंत्रों का प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्हें अमल में लाने के लिए प्रेरित किया। उप कृषि निदेशक डीके गुप्ता ने कहा कि फसल का अवशेष जलाने की जगह उन्हें खेत में ही डालकर जैविक उर्वरक के रूप में प्रयोग करें। एनजीटी द्वारा फसल अवशेष जलाने पर अर्थदंड का प्रावधान निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही लगातार दो बार फसल अवशेष जलाने वाले किसानों को सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित करने का नियम निर्धारित है। जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय ने कृषि विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने किसानों को पारदर्शी किसान सेवायोजना के तहत पंजीकरण कराने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम को कृषि विशेषज्ञ डा.पंकज मिश्रा ने भी संबोधित किया। इस मौके पर किसान बाबूलाल मौर्य व डा. जेएन तिवारी तथा एडीओ कृषि ओमकार नाथ राय, तेजबली, अमरेश कुमार, राकेश कुमार आदि मौजूद थे।