आयुर्वेदिक दवाइयां खत्म, बढ़ी परेशानी
जागरण संवाददाता सोनभद्र आयुर्वेद यूनानी व होम्योपैथ चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र ।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : आयुर्वेद, यूनानी व होम्योपैथ चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें जतन कर रही है। वैश्विक महामारी में आयुर्वेद की दवाएं लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर साबित हुई हैं। आयुर्वेद का काढ़े का लाभ किसी से छिपा नहीं है बावजूद जिले के आयुष चिकित्सकों के पास दवाइयां खत्म हो गई हैं जबकि इन दवाओं की खरीदारी के लिए शासन ने जुलाई में ही भारी भरकम बजट भेज दिया था।
जिले में आयुष चिकित्सकों की संख्या 20 हैं। ये चिकित्सक जिला अस्पताल के अलावा सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से संचालित आयुष चिकित्सकों को दवाओं का बजट भारत सरकार मुहैया कराती है। केंद्र सरकार ने जुलाई में ही आयुर्वेद, होम्योपैथ व यूनानी दवाओं के लिए 10 लाख से अधिक की धनराशि मुख्य चिकित्साधिकारी को उपलब्ध करा दी है। जिला अस्पताल में आयुष विभाग, सीएचसी व पीएचसी में तैनात आयुष चिकित्सकों के पास डायबिटिज, ब्लड प्रेसर, ज्वाइंट पेन, पेट आदि की दवाएं कई दिनों से खत्म हो गई हैं। वैश्विक महामारी के दौरान जिलाधिकारी एस राजलिगम के नेतृत्व में आयुर्वेद चिकित्सालय लोढ़ी में बुजुर्गों को काढ़ा भी पिलाया गया था। कोरोना में काम आने वाला अश्वगंधा व आयुष काढ़ा बनाने की औषधि तक नहीं है। इस वजह से इसका लाभ आम जनता को नहीं मिल रहा है। तीन माह बीत जाने के बावजूद मिले धन से आखिर दवा क्यों नहीं मंगाई गई, इसे लेकर आयुष चिकित्सक खुद हैरान व परेशान हैं।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक डा. रितुंजय से यह जानने की कोशिश की गई कि दवा के लिए कितना बजट आया है बैठक में होने की बात कहकर थोड़ी देर में बताने की बात कहकर हीलाहवाली कर गए। आयुष चिकित्सकों से ली गई है डिमांड
बीते दिनों जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आयुष चिकित्सकों की बैठक हुई थी। उनसे दवाओं का डिमांड मांगा गया है लेकिन अभी तक किसी भी चिकित्सक ने डिमांड नहीं भेजी है। इसकी वजह से दवा मंगाने में देरी हो रही है।
- डा. एसके उपाध्याय, मुख्य चिकित्साधिकारी।