आशा बहुओं ने मांगा राज्य कर्मचारी का दर्जा, प्रदर्शन
आशा संगिनी कर्मचारी संगठन के बैनर तले शुक्रवार को आशा कार्यकत्रियों ने राज्य कर्मचारी का दर्जा दिलाए जाने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम 10 सूत्रीय मांग पत्र सौंपकर पूरा किए जाने की मांग किया। चेतावनी दिया कि अगर शीघ्र ही समस्याओं का समाधान न
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : आशा संगिनी कर्मचारी संगठन के बैनर तले शुक्रवार को आशा कार्यकत्रियों ने राज्य कर्मचारी का दर्जा दिलाए जाने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन किया। जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम 10 सूत्रीय मांग पत्र सौंपकर पूरा किए जाने की मांग किया। चेतावनी दिया कि अगर शीघ्र ही समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो बडा आंदोलन किया जाएगा।
कर्मचारी संगठन के महामंत्री हेमलता ने कहा कि आशा कार्यकर्ती/आशा सहयोगिनी वर्कर्स को राज्य कर्मचारी घोषित करते हुए आशा वर्कर्स को न्यूनतम 18 हजार व आशा सहयोगिनी को न्यूनतम 24 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन का भुगतान सुनिश्चित किया जाए। आशा सहयोगी वर्कर्स को महीने में 20 दिन के बजाए 30 दिन का कार्य दिया जाए। इसके लिए तत्काल 30 दिन का कार्य प्लान तैयार किया जाए। सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाते हुए इपीएफ एवं इएसआई का लाभ प्रदान किया जाए। बीमा करने के साथ ही मृत्यु होने पर पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। कहा कि जो भी राज्य कर्मचारियों को सुविधा मिलती है आशाओं को दिया जाए। कहा कि आशा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में लोगों को टीकाकरण, स्वच्छता, जच्चा-बच्चा देखभाल संस्थागत प्रसव आदि के अलावा राज्य सरकार अन्य कार्य भी संचालित करवाती है। इनके बदले उन्हें कोई मानधन अथवा कोई वेतन नहीं दिया जाता, बल्कि अल्प प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाता है। समाज का कुपोषण दूर करते-करते आशा खुद कुपोषण का शिकार हो रही हैं। इन्हीं कार्यों को राज्य के सरकारी कर्मचारी भी करते हैं। कहा कि पिछले वर्ष सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आशाओं का प्रोत्साहन राशि दोगुनी करते करने का ऐलान किया था लेकिन मात्र एक हजार रुपये की वृद्धि की गई है। चेतावनी दी कि अगर जल्द ही सभी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। इस मौके पर रुबी देवी, किरण श्रीवास्तव, चंदा सहवाल, आशा देवी, रंजीता, तिलक, मीरा वर्मा, ऊषा, चंदा झा, पूनम केशरी आदि रहीं।