अनपरा परियोजना ने दो वर्ष में बचाए 1026 करोड़ रुपये
सार्वजनिक क्षेत्र की विद्युत परियोजनायें कभी भी अपने खर्चों कम उत्पादन एवं महंगी बिजली के कारण सफेद हाथी के नाम से जानी जाती थी।
जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र) : सार्वजनिक क्षेत्र की विद्युत परियोजनाएं कभी भी अपने खर्चों, कम उत्पादन एवं महंगी बिजली के कारण सफेद हाथी के नाम से जानी जाती थी। गत कुछ वर्षों में स्थिति बिल्कुल बदल गई है। सरकार की नई नीतियों एवं कुशल प्रबंधन तथा संचालन से सार्वजनिक क्षेत्र की विद्युत परियोजनाएं न सिर्फ निजी क्षेत्र के विद्युत गृहों को कड़ी चुनौती दे रही हैं, वरन विद्युत का प्रचुर उत्पादन कर रही हैं। इससे जहां प्रदेश के विद्युत संकट को दूर करने में मदद मिल रही है वहीं भारी राजस्व की बचत भी हो रही है।
अनपरा परियोजना ने गत वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की है। दो वर्ष के अंतराल में प्लांट लोड फैक्टर 24.76 प्रतिशत बढ़कर 91.41 प्रतिशत हो गया है। विद्युत उत्पादन लागत में कमी लाए जाने के कारण वर्ष 2016-17 के सापेक्ष वर्ष 2017-18 में कुल 484 करोड़ एवं वर्ष 2017-18 की तुलना में जनवरी वर्ष 2019 तक लगभग 542 करोड़ रुपये की बचत की गई। अनपरा तापीय परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक इं. अखिलेश सिंह ने बताया कि विद्युत उत्पादन की दर में कमी से विद्युत विक्रय दर में भी कमी आई है। जिसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि 2016-17 के सापेक्ष वर्ष 2017-18 में कुल 514 करोड़ एवं 2017-18 की तुलना में गत जनवरी तक 247.74 करोड़ रुपये की सस्ती बिजली प्रदेश को दी गई। मुख्य महाप्रबंधक ने बताया कि कोयले, आयातित होने वाले विशिष्ट तेल एवं सहायक संयंत्र में विद्युत की खपत में कमी लाकर विद्युत कर्मियों ने उल्लेखनीय सफलता अर्जित की है। कोयला लागत में गत दो वर्ष में कुल 314 करोड़ रुपये की बचत की गई है। इसी प्रकार आयातित होने वाले लाइट डीजल आयल में इस वर्ष 189.52 करोड़ की बचत हुई है। उत्पादन निगम को भी मिल रहा लाभ
अनपरा परियोजना की उपलब्धियों का लाभ उत्पादन निगम को मिल रहा है। परिणाम स्वरुप उत्पादन निगम की विद्युत लागत वर्ष 2016-17 में 3.99 रुपये थी जो घटकर इस समय 3.09 हो गई है। उत्पादन लागत कम होने से पावर कारपोरेशन को भी काफी कम कीमत में बिजली बिक्रय की जा रही है। वर्ष 2016-17 में बिजली की विक्रय दर 4.04 रुपये थी जो दिसंबर 2018 में घटकर 3.15 रुपये प्रति यूनिट हो गई है। अभी भी विक्रय दर में निरंतर कमी आ रही है। जिसका लाभ अनपरा परियोजना को मिल रहा है। बिजली की मांग में कमी होने पर यहां थर्मल बैकिग यानी उत्पादन कम करना सबसे अंतिम विकल्प होता है।