Move to Jagran APP

श्रद्धापूर्वक मनाई गई अनंत चतुर्दशी

असाध्य कष्ट निवारण हेतु किया जाने वाले पारम्परिक व्रत अनन्त चतुर्दशी रविवार को उर्जांचल की औद्योगिक कालोनियों समेत ग्रामीण क्षेत्रों मे श्रद्धा पूर्वक मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 06:45 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 06:45 PM (IST)
श्रद्धापूर्वक मनाई गई अनंत चतुर्दशी
श्रद्धापूर्वक मनाई गई अनंत चतुर्दशी

जासं, बीना (सोनभद्र) : असाध्य कष्ट निवारण हेतु किया जाने वाले पारंपरिक व्रत अनंत चतुर्दशी रविवार को ऊर्जांचल की औद्योगिक कालोनियों समेत ग्रामीण क्षेत्रों मे श्रद्धापूर्वक मनायी गयी। इस दौरान लोगों ने भगवान अनंत की कथा सुनी तथा चौदह गांठों के रक्षासूत्र के धागे को पुरुष दाहिने एवं महिलाओं ने अपनी बायीं भुजा में बांधकर पर्व की परम्परा को निभाया। अनंत चतुदर्शी का व्रत भादो माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। प्रचलित कथा के अनुसार पांडवों के वनवास के समय भगवान श्रीकृष्ण उनसे मिलने जंगल में गये। वहां पर पांडव अपार कष्ट सहकर जीवन व्यतीत कर रहे थे। यह देख भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को कष्ट निवारण हेतु इस अनंत चतुदर्शी का व्रत नियमानुसार करने का परामर्श दिया। पांडवों ने इस व्रत को किया। तभी से मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य के कष्टों और दु:खों का स्वत: निवारण हो जाता है। व्रत के दिन दोपहर तक बिना अन्न जल ग्रहण किये आराध्य देव भगवान अनंत का ध्यान करते हुए व्रतधारी अनंत चतुर्दशी महात्म्य की कथा सुनते हैं। इसके बाद अनंत रूपी चौदह गांठों से युक्त केसरिया धागा अपनी भुजाओं में बांधते हैं।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.