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कविताएं सुनाकर श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध

तहसील मुख्यालय पर 34वें अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का आगाज अतिथि सदर विधायक भूपेश चौबे व उपजिलाधिकारी दुद्धी सुशील कुमार यादव समेत अन्य अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीपप्रज्वलन के साथ किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 09:31 PM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 06:10 AM (IST)
कविताएं सुनाकर श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध

जासं, दुद्धी (सोनभद्र) : तहसील मुख्यालय पर 34वें अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आगाज रश्मि शाक्या की वंदना अभय जीवन आधार दे, पल्लवित पुलकित संसार दे मां सरस्वती..'से हुआ। काव्य निशा का शुभारंभ अतिथि सदर विधायक भूपेश चौबे व एसडीएम दुद्धी सुशील कुमार यादव ने किया। जौनपुर निवासी अमरनाथ गौतम ने महाराष्ट्र में चलत बा गजब..व्यंग और शर्म नहीं लगती आज भइया बना है..कविताएं सुनाकर वाहवाही लूटी।

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मैनपुरी के विनोद राजयोगी ने वह मस्जिद उसे घुमाता है, वह मन्दिर में ले जाता है..।'सिद्दीकी ने होली खेलता है, वंशीधर ईद मनाता है..सुनाकर गुदगुदाया। कुंवर सिंह वाराणसी ने आने दो मौसम, तैयारी देखूंगा, कौन पड़ेगा..सुनायी। प्रयागराज के राधेश्याम भारती ने मेरी हिन्दी से निभती है, मेरी उर्दू से यारी है। मगर परहेज हमें उससे है जो ज्यादा ब्रह्मचारी है..सुनायी। मुगलसराय के सुहैल उस्मान ने रिश्ते-नाते संभाल कर रखना, बनते-बनते टूट जाते हैं। अपना चेहरा भी खो चुके हैं जो, वो हमें आईना दिखाते हैं। कुछ जयचन्दों व जाफरों से भारत शर्मिंदा है, भूल न जाना इस धरती पर वीर हमीद भी जिदा है..सुनाकर वीरोचित कविताएं सुनाकर श्रोताओं को रामांचित कर दिया। कमलेश राजहंस ने पड़ा है बाग में झूला, तुम्हें झुलाऊंगा। तुम्हारे हर कदम पर दिया दिल के जलाऊंगा..सुनाकर मंच को नई ऊंचाइयां प्रदान की। हसन सोनभद्री ने ये दादी अब्बू को खत लिख दोगी न.. सुनाकर करुणा उत्पन्न कर दी। रश्मि शाक्या ने रंग होली हैं चटकीले, रंगीले फागुन में बहुत उलझा है मन, सुलझाऊं कैसे.सुनाकर श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया।

पवन बाथम ने मौत कतराती है अब इसलिए मुझसे शायद, जान हर वक्त ही तेरे पास रहती है..सुनाकर खूब प्रशंसा बटोरी। मनमोहन मिश्र व पटना के शंकर कैमूरी ने बेहतरीन कविताएं सुनाई।

इसमें अध्यक्ष रामलोचन तिवारी, रामेश्वर राय, जुबैर आलम, मदन मोहन तिवारी, शिवशंकर, महेशानंद, दिनेश यादव, पंकज अग्रहरि आदि थे। संचालन आलोक अग्रहरि ने किया।


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