नर्सरियों में उगाए जा रहे 35 लाख नए पौधे
जनपद में 30 लाख 62 हजार होने वाले पौध रोपण कि तैयारियो के लिए वन विभाग के नर्सरियों में 35 लाख से अधिक पौध उगाने का कार्य चल रहा है।
जागरण संवाददाता, डाला (सोनभद्र) : इस बार जनपद में 30 लाख 62 हजार पौधों को रोपने के लिए वन विभाग की नर्सरियों में 35 लाख से अधिक पौधे उगाने का कार्य चल रहा है। इसका निरीक्षण मीरजापुर मंडल के मुख्य वन संरक्षक डा. प्रभाकर दुबे ने गत दिवस किया था।
कार्यों की प्रगति का जायजा लेने पहुंचे डा. दुबे ने बताया कि जनपद के सोनभद्र, ओबरा व रेणुकूट वन प्रभाग अंतर्गत स्थित 30 नर्सरियों में 35 लाख 30 हजार पौधों को उगाने का कार्य चल रहा है, जो हरहाल में फरवरी माह के अंत तक पूरा हो जाएगा। किसानों व स्थानीय लोगों की मांग के अनुसार 20 प्रजाति के पौधों को उगाया जा रहा है। इसमें फलदार व छायादार सागौन, आंवला, सहिजन, आम, जामुन, कटहल, नीबू, नीम, महुआ, अमरूद व बांस आदि प्रकार के पौधों को उगाया जा रहा है। पौध उगाने का कार्य लगभग 95 प्रतिशत पूरा हो गया है। ओबरा वन प्रभाग परिसर में लगी नर्सरी व डाला रेंज के चोपन वन परिसर में लगी नर्सरी का विधिवत निरीक्षण किया। इस दौरान प्रभागीय वनाधिकारी ओबरा मूलचंद, एसडीओ जेपी ¨सह आदि लोग शामिल रहे। आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ पर्यावरण का संरक्षण
फलदार व छायादार पौधे लगाकर किसान अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ ही पर्यावरण का संरक्षण भी कर सकते हैं। इन पौधों पर उनका संपूर्ण अधिकार होगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य भी किसानों की आर्थिक सुदृढ़ीकरण, पौधरोपण द्वारा हरियाली में वृद्धि एवं पर्यावरण का शुद्धीकरण करना है। हालांकि किसानों को इसका लाभ लेने के लिए स्थानीय वन क्षेत्र या वन प्रमंडल अधिकारी के कार्यालय में आवेदन करना होगा। खेती के साथ पौधरोपण लाभकारी
प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ व सूखा से फसल नष्ट होने पर किसानों को आर्थिक क्षति पहुंचती है तथा उनकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ टूट जाती है। उत्पादन अधिक होने पर मूल्य न्यूनतम हो जाता है। इस कारण कभी-कभी किसानों को लागत भी प्राप्त नहीं होती है। खेती के साथ पौधरोपण करने से उपयुक्त समय व बाजार मूल्य प्राप्त होने पर इसे काटने व बेचने की सुविधा है। इससे शादी, पारिवारिक उत्सव, भवन निर्माण, बच्चों को अच्छी शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ाने का लाभ मिल सकता है। यह योजना रासायनिक खाद में व्यय होने वाली राशि की बचत भी किसान कर सकते हैं। कृषि वानिकी खेतों का सामान्य पैदावार व गुणवत्ता को प्रभावित किए बिना ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में कारगर साबित होगी। ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनाने में अहम भूमिका निर्वहन कर सकते हैं। जिस किसी किसान को इस योजना की जानकारी नहीं है, उन्हें इसके बारे में बताकर इसका लाभ लेने के लिए वे प्रोत्साहित कर सकते हैं।