102 ने दिया दगा तो जीवनदायिनी बना डायल 100
शासन की तमाम सुविधाओं को पीड़ितों के लिए मुहैया न कराने पर उतारू आंचलिक स्वास्थ्यकर्मियों की शिकायतें कम नहीं हो रही हैं। कुछ लापरवाही इस कदर की हो रही है
जागरण संवाददाता, शाहगंज (सोनभद्र): शासन की तमाम सुविधाओं को पीड़ितों के लिए मुहैया न कराने पर उतारू आंचलिक स्वास्थ्य कर्मियों की शिकायतें कम नहीं हो रही हैं। लापरवाही कुछ इस कदर हो रही है जिसमें पीड़ित की जान भी जा सकती है। या यूं कहें कि अपनी जिम्मेदारियों का चोला उतारकर पीड़ितों के लिए दर्द ही देने का काम कर रहे हैं एंबुलेंस संचालक।
दरअसल, शाहगंज थाना क्षेत्र के बरवां निवासी इदरीश की पत्नी नुरेशा बेगम गर्भवती थी। उसे रविवार की रात में प्रसव पीड़ा शुरू हुई। पति इदरीश ने घोरावल के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जमगांव ले जाने के लिए 102 एम्बुलेंस को फोन किया। चूंकि महिला कराह रही थी इसलिए इदरीश ने कई बार फोन किया। फिर भी उधर से कोई जवाब नहीं मिला। फिर ग्रामीणों के सहयोग से इदरीश ने अस्पताल ले जाने की व्यवस्था बनायी। एक ऑटो को लेकर ज्योंहि सड़क पर आये तो उन्हें डायल 100 के पुलिस कर्मी मिले। रात का समय होने के कारण पुलिस कर्मियों ने ऑटो वालों का परिचय पूछा। इस दौरान परिजनों ने पुलिसकर्मियों को अपनी परिस्थिति से अवगत कराया। काफी परेशान हाल देख पुलिस कर्मियों ने स्वयं उन्हें लेकर जमगांव पहुंचे। वहां पता चला कि एएनएम ने पीड़िता को अस्पताल में रखने से मना कर दिया। इस पर पुलिस कर्मियों ने सख्ती दिखायी तब जाकर पीड़िता को भर्ती किया। इदरीश ने बताया कि इस दौरान नाराज एएनएम ने लगभग दो घंटे तक पीड़िता को कोई दवा तक नहीं दी। हालांकि सोमवार की सुबह महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया। एएनएम व एंबुलेंस की इस मनमानी की देररात तक चर्चा रही। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी एसपी ¨सह ने बताया कि असल मामला क्या है। इसकी जानकारी हम लेंगे। ऐसा होना नहीं चाहिए। अस्पताल में स्टाफ हैं तो उसे हरहाल में मरीज का उपचार करना चाहिए।