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वो बेसहारा, ये देते हैं सहारा

सीतापुर : सरकारी स्तर पर भले ही बेसहारा मवेशियों की रक्षा-सुरक्षा के कोई इंतजाम न हों पर, इन मवेशियो

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 10:50 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 10:50 PM (IST)
वो बेसहारा, ये देते हैं सहारा
वो बेसहारा, ये देते हैं सहारा

सीतापुर : सरकारी स्तर पर भले ही बेसहारा मवेशियों की रक्षा-सुरक्षा के कोई इंतजाम न हों पर, इन मवेशियों को सहारा देने वालों की जिले में कमी नहीं है। कोई खेतों में लगे कटीले व ब्लेडयुक्त तारों से घायल होने वाले मवेशियों के इलाज में जुटा है तो कोई उनके चारे-पानी में अपनी कमाई खर्च कर रहा है। गोंदलामऊ क्षेत्र के छावन के प्रमोद कुमार मिश्र बेसहारा मवेशियों की सेवा में घर छोड़कर बेतवा नदी किनारे झोपड़ी बना ली है, जहां पूरे दिन वे मवेशियों की सेवा में लगे रहते हैं। क्षेत्र में प्रमोद बेसहारा मवेशियों के संरक्षक के रूप में चर्चित हैं। बेसहारा मवेशियों को रोकने के सरकारी इंतजामों की बात की जाए तो अभी तक किसी भी गांव में गोशाला नहीं बन पाई है।

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बना दी पशु सेवा समिति

महोली : बेसहारा मवेशियों की रक्षा-सुरक्षा में कस्बे के संतोष दीक्षित अपना पूरा समय देते हैं। इन्होंने पशु सेवा समिति भी गठित कर ली है। समिति में इनके कुछ सहयोगी भी जुड़े हैं, जो बेसहारा मवेशियों की सुरक्षा में समय देते हैं। इस समिति के अध्यक्ष संतोष दीक्षित ने सहयोगियों के साथ कस्बे में ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों में जाकर घायल बेसहारा मवेशियों का इलाज भी करते हैं। आवश्यकता पड़ने पर पशुओं को कस्बे के पशु चिकित्सालय लाकर उनका इलाज कराते हैं। इस तरह संतोष दीक्षित व उनके सहयोगियों द्वारा आधा सैकड़ा मवेशियों का इलाज किया जा चुका है।

मवेशियों के सहारा बने विष्णु

हरगांव : कस्बे के सेवानिवृत्त शिक्षक विष्णु कुमार मिश्र बेसहारा मवेशियों की समस्याओं को बेहद करीब से जानते हैं। फसल को बचाने के लिए खेतों के चारों ओर कटीले व आरी ब्लेड वाले तारों से घायल होने वाले मवेशियों के इलाज में विष्णु कुमार मिश्र अपना पूरा समय देते हैं। सूचना मिलते ही वह मवेशी के इलाज को मौके पर पहुंचते हैं। इनके इस पुनीत कार्य में सहयोगी पंकज शुक्ल हैं।

मवेशियों की सेवा में जुटे बाबा

सरैंया : महमूदाबाद के बाबूपुर गांव में अपने घर के सामने ही अपने परिवार के साथ बाबा प्यारेलाल जहां निजी व बेसहारा सहित दो सैकड़ा से अधिक गायों के पालन पोषंण का कार्य कर रहे हैं। वहीं पहला ब्लॉक के रमनगरा के राजेंद्र वर्मा और खम्हरिया दमुआपुर के शिशु मौर्य जख्मी बेसहारा मवेशियों को देखते ही क्षेत्रीय पशु चिकित्सालय में खबर करते हैं। इसी गांव के उदयभान यादव, शिवचंद्र यादव और राम खेलावन व उनकी पत्नी भी घायलों बेसहारा मवेशियों के उपचार में लगे रहते हैं। ईश्वरवारा की सुधा मिश्रा बीमार या घायल बेसहारा मवेशियों की सुरक्षा में काफी रुचि लेती हैं। मौका पड़ता है तो ये डॉक्टर को बुलाकर उनका इलाज करवाती हैं।

प्रमोद ने बना दी गोशाला

कल्ली चौराहा : छावन के प्रमोद कुमार मिश्र करीब 5 वर्षों से अपनी कमाई बेसहारा मवेशियों की ही सेवा में खर्च करते हैं। इन्होंने गांव के बाहर धंधारी जंगल के किनारे बेतवा नदी के पास झोपड़ी डाल रखी है। यहां पर ये बेसहारा मवेशियों को शरण देते हैं और घायल मवेशियों का इलाज करते हैं। इनके चारा-पानी की व्यवस्था में पूरा दिन जुटे रहते हैं। इन पशुओं की देखभाल के लिए उन्होंने एक कर्मचारी भी रखा है। क्षेत्र में प्रमोद बेसहारा मवेशियों के संरक्षक के रूप में चर्चित हैं।


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