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रैबीज से बचने को समय से इलाज जरूरी, अन्यथा लाइलाज

पीड़ित को 24 से 48 घंटे में वैक्सीन की पहली डोज जरूरी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 10:16 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 10:16 PM (IST)
रैबीज से बचने को समय से इलाज जरूरी, अन्यथा लाइलाज
रैबीज से बचने को समय से इलाज जरूरी, अन्यथा लाइलाज

सीतापुर : रैबीज विषाणु जनित रोग है। मनुष्य में इसके लक्षण जब शुरू होते हैं तब तक ये रोग काफी घातक हो चुका होता है। ऐसे में डॉक्टरों के लिए रोगी को बचा पाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए समय से उपचार जरूरी है। सोमवार को रैबीज दिवस है। रैबीज से जागरूकता ही बचाव है।

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रेबीज क्या है

रैबीज मुख्यत: कुत्ता, बंदर, बिल्ली, सियार जैसे जानवरों के काटने से फैलता है। जरूरी नहीं है कि इन प्रत्येक में रैबीज हो। इन पशुओं में भी एक-दूसरे से रैबीज फैलता है। ये रोग जिन पशुओं के हैं, और वह यदि 10 दिन में मर जाता है तो मान लेना चाहिए कि उसे रैबीज था। इसलिए जिस किसी को कुत्ता, बंदर काट ले तो 10 दिन तक उस पशु की निगरानी करनी चाहिए। यदि वह इन दिनों में मर जाता तो मान लेना चाहिए कि उसके अंदर रैबीज था।

ऐसे फैलता है रैबीज

रैबीज लार से फैलने वाला रोग है। संक्रमित जानवर के लार का संपर्क जब व्यक्ति के खून से होता है तो ये वायरस फैलता है। व्यक्ति के खून में ये वायरस या तो जानवर के काटने से पहुंचते हैं या फिर पालतू जानवरों के घाव और चोट आदि के चाटने से फैलते हैं। जिस किसी को रैबीज से ग्रसित पशु ने काट लिया है, उस व्यक्ति को अगर वैक्सीन न लगे तो ये इतना घातक है कि इसका इलाज नहीं है। रोगी को बचा पाना मुश्किल हो जाता है।

रैबीज फैलने से इस तरह से बचें

रेउसा सीएचसी अधीक्षक डॉ. अनंत मिश्र बताते हैं कि, कुत्ता, बंदर, सियार जैसे जानवर यदि मनुष्य को काट लेते हैं तो व्यक्ति को चाहिए वह 24 से 48 घंटे के अंतराल में निकट स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचकर वैक्सीन जरूर लगवा ले। इसके बाद तीसरे दिन फिर सातवें, चौदहवें और 30वें दिन वैक्सीन लगवानी चाहिए। इस तरह व्यक्ति को पांच बार वैक्सीन लगता है। हालांकि जरूर नहीं व्यक्ति को पांच वैक्सीन लगें, यदि जानवर काटने के 10 दिन के अंतराल में नहीं मरता है तो चौदहवें व तीसवें दिन वाले वैक्सीन को लगवाने की जरूरत नहीं होती है।

पालतू कुत्ते को रैबीज से बचाएं

डॉक्टर बताते हैं कि घर में पालतू कुत्ते को एंटी रैबीज वैक्सीन प्रत्येक वर्ष लगवानी चाहिए। इससे कुत्ते को रैबीज होने की गुंजाइश नहीं रहती है।

रैबीज के करीब 200 केस रोज आते हैं

डॉ. अनंत मिश्र कहते हैं कि प्रत्येक ब्लॉक में रैबीज के न्यनतम 5-6 मामले आते हैं। इस तरह जिले भर में करीब सौ-सवा सौ मामले रोज आते हैं। वैसे पुराने मामलों को भी मिला लें तो 190 से 200 मामले रोज हो जाते हैं।


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