घबराएं नहीं, मन को नियंत्रित रखने का विकल्प चुने
- मानसिक रोग में उलझन घबराहट बेचैनी नींद न आना जैसी होती हैं दिक्कतें संकोच न करें दिक्कत है तो विशेषज्ञ को बताएं।
सीतापुर : शनिवार को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस है। कोरोना काल में मानसिक रोगियों का ग्राफ भी बढ़ गया है। इसके कई कारण बताए जा रहे हैं। लॉकडॉउन में काफी लोगों के रोजगार छिन गए हैं। काम नहीं मिलने से आर्थिक तंगी भी बढ़ी है।
जिला अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रांशू अग्रवाल बताते हैं कि, लोगों में मानसिक रोग के प्रति जागरूकता बढ़ी है। पहले रोगियों को विशेषज्ञ के पास जाने में जो झिझक होती थी, वह अब कम हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र के रोगी पहले कम आते थे, वे संकोच करते थे। ये रोगी भी अब विशेषज्ञ के पास आने लगे हैं। कोरोना की वजह से लोगों में उलझन, घबराहट, बेचैनी की समस्याएं बढ़ी हैं। लॉकडाउन की वजह से लोगों का बिजनेस में लॉस हुआ है। लोगों की नौकरियां चली गई हैं। जो नौकरी कर रहे हैं उनकी पगार में कटौती हुई है। ऐसे में उलझन व बेचैनी बढ़ रही है। मानसिक रोग बढ़े हैं। जो व्यक्ति नशा करते थे, उनको लॉकडाउन की वजह से नशा नहीं मिला तो उन्हें दिक्कत हुई। ये लोग भी मानसिक रोगों का शिकार हुए हैं।
हेल्थ केयर वर्कर भी हो रहे मानसिक रोगी
विशेषज्ञों का मानना है कि जो हेल्थ केयर वर्कर कोरोना संक्रमण से ग्रसित रोगी की पहचान कर रहे हैं। उनका सैंपल ले रहे हैं उन हेल्थ कर्मियों में भी मानसिक तौर पर समस्याएं आती हैं। इन हेल्थ केयर वर्करों में भी डर रहता है कि कोरोना से वे भी न प्रभावित हो जाएं। इसलिए इनमें भी उलझन, घबराहट, बेचैनी होती है। भय रहता है कि कहीं वे अपने घर वालों को भी न संक्रमित कर दें।
मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के तलाशें विकल्प
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रांशू अग्रवाल का कहना है कि मुश्किल दौर में खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ एवं नियंत्रित रखने का विकल्प ये ही है कि नए व्यवसाय को तलाशें। अपने शौक जो पहले नहीं पूरे कर पाए जैसे-पुस्तकें पढ़ना, टीवी देखना आदि में समय बिता सकते हैं। वॉक पर जा सकते हैं। योग कर सकते हैं।
लोगों में मुख्यत: ये समस्याएं
डॉ. प्रांशू अग्रवाल कहते हैं कि उलझन, घबराहट, बेचैनी, नींद न आना, कान में आवाजें आना, नशा करना आदि ये ही मुख्य तौर पर समस्याएं सुनने को आती हैं।