सतर्कता के बीच खुले स्कूल, बच्चे भी रहे अनुशासित
लंबे इंतजार के बाद सोमवार को करीब सात माह बाद स्कूल खुल गए। पढ़ाई का पहला दिन बच्चों और स्कूल प्रबंधन के लिए काफी अहम रहा। स्कूल खुलने को लेकर जहां विद्यार्थियों में उत्साह दिखा वहीं शिक्षकों ने भी सतर्कता बरती।
विनीत पांडेय, सीतापुर: लंबे इंतजार के बाद सोमवार को करीब सात माह बाद स्कूल खुल गए। पढ़ाई का पहला दिन बच्चों और स्कूल प्रबंधन के लिए काफी अहम रहा। स्कूल खुलने को लेकर जहां विद्यार्थियों में उत्साह दिखा, वहीं शिक्षकों ने भी सतर्कता बरती। सभी स्कूल में बच्चों को प्रवेश देने से पहले उनका तापमान नापा गया और हाथ सैनिटाइज कराए गए। शारीरिक दूरी के साथ ही थर्मल स्कैनिंग की 'लक्ष्मण रेखा' पर अनुशासन की जीत हुई। थर्मल स्क्रीनिग के बाद इंट्री
लखनऊ पब्लिक स्कूल, समय प्रात: आठ बजे स्कूल गेट पर छात्रों की थर्मल स्क्रीनिग की गई। फिर बच्चों के साथ सैनिटाइज कराए गए। विद्यालय प्रधानाचार्या नीलम सिंह ने बच्चों को कोविड नियम समझाए। गेट पर मौजूद शिक्षक बच्चों के निर्धारित क्लासरूम में जाने को कहा। क्लास में पहुंचे छात्रों को वहां मौजूद शिक्षकों ने निर्धारित सीट पर बैठाया। क्लास 9 ए में शिक्षक मो. आसिफ गणित व दूसरी कक्षा में शिक्षिका पद्मिनी ने बच्चों को इतिहास पढ़ाया। दो गज की दूरी..
सरस्वती विद्या मंदिर तरीनपुर गेट पर छात्र कक्षा 9 के छात्र अभय सिंह, शुभ सक्सेना की थर्मल जांच की गई। उसके बाद उन्हें विद्यालय में प्रवेश दिया गया। आरआरडी इंटर कॉलेज गेट पर शारीरिक दूरी का पालन के लिए गोले बनाए गए थे। उन गोलों में एक दूसरे से दो गज की दूरी पर खड़े बच्चों गौरव, लकी, राज, आदित्य की थर्मल स्कैनिंग की गई। हाथ सैनिटाइज कराने के बाद स्कूल में प्रवेश दिया गया। ऐसा व्यवस्था राजकीय इंटर कॉलेज में भी देखने को मिली। पहले दिन कम आए बच्चे
डीआइओएस नरेंद्र शर्मा ने बताया 54 प्रतिशत बच्चों के अभिभावकों ने सहमति दी है। इस वजह से कम बच्चे ही स्कूल आए। जब बच्चे स्कूल पहुंचे तब साफ कराई बेंच
आरआरडी इंटर कॉलेज में ही कोविड नियमों की अनदेखी नजर आई। यहां जब बच्चे कमरों के पास पहुंचे तभी तत्काल कर्मचारी से डेस्क साफ करने को कहा गया। अव्यवस्थाओं के बीच बच्चों ने स्कूल में पढ़ाई की। सहमति पत्र न होने पर छात्रों को किया गया वापस
जीआइसी के छात्र अरविद, राम दिवाकर, विवेक कुमार, कन्हैया, शुभम, नरेंद्र, राज शेखर वापस जा रहे थे। चूंकि इन छात्रों के पास अभिभावकों का सहमति पत्र नहीं था। शिक्षकों ने उनको पहले सहमति पत्र लाने को कहा।