आचार संहिता का उल्लंघन 'निर्वाचन अपराध'
(लखीमपुर और सीतापुर दोनों संस्करणों के लिए उपयोगी)
धौरहरा : चुनाव आयोग ने आचार संहिता के उल्लंघन को निर्वाचन अपराध बताया है। जिसके तहत प्रत्याशियों से जुर्माना वसूलने के साथ ही साथ उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1961 के तहत सजा दी जाएगी।
चुनाव प्रचार के दौरान धर्म-जाति या भाषा के नाम पर भाषण अथवा बयानबाजी करने पर अधिनियम की धारा-125 के तहत तीन वर्ष की जेल और जुर्माना होगा। मतदान के 48 घंटे पूर्व यदि प्रचार बंद न किया तो धारा-126 के तहत छह वर्ष की जेल और जुर्माना या दोनों सजाएं भुगतनी पड़ सकती हैं। चुनावी सामग्री पर मुद्रक और प्रकाशन का नाम न छापा गया तो धारा-127 ए में छह माह की जेल या जुर्माना हो सकता है। मतदान केंद्रों के अंदर या सौ मीटर के दायरे में वोट मांगना या किसी के पक्ष में प्रचार करने पर धारा-130 के तहत 250 रुपये जुर्माना वसूला जाएगा। मतदान ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले अधिकारी और कर्मचारी से धारा-134 के तहत 500 रुपये जुर्माना वसूला जा सकता है। अधिकारी या कर्मचारी किसी का प्रचार करते या एजेंट के रूप में काम करते पाए गए तो उन्हें तीन माह की जेल और जुर्माना की सजा दी जाएगी। मतदान के दिन आसपास असलहा लेकर जाना संज्ञेय अपराध होगा। इससे दो वर्ष तक की जेल और जुर्माना का प्रावधान हैं। ईवीएम मशीन बाहर ले जाने पर एक वर्ष की जेल और 500 रुपये का जुर्माना, बूथ कैंप्चरिग पर तीन वर्ष की जेल और जुर्माना, मतदान के दौरान शराब की बिक्री पर छह माह की जेल और दो हजार रुपये जुर्माना, मतदान स्थल पर चस्पा किए दस्तावेजों को फाड़ने या नष्ट करने पर दो वर्ष की जेल का प्रावधान है।