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अवैध कब्जे वाले वादों की सुनवाई में लापरवाही

सीतापुर : गांवों की सार्वजनिक जमीनों पर अवैध कब्जे से जुड़े वादों के निस्तारण में भी हीलाह

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 10:51 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 10:51 PM (IST)
अवैध कब्जे वाले वादों की सुनवाई में लापरवाही
अवैध कब्जे वाले वादों की सुनवाई में लापरवाही

सीतापुर : गांवों की सार्वजनिक जमीनों पर अवैध कब्जे से जुड़े वादों के निस्तारण में भी हीलाहवाली हो रही है। इस ढिलाई से ही 1626 वादों का निपटारा अभी तक नहीं हो सका है। ये सभी वाद एक साल पुराने के बताए जा रहे हैं। वाद लंबित होने से सार्वजनिक जमीन अवैध कब्जे बरकरार हैं। इस मामले में राजस्व परिषद स्तर पर हुई समीक्षा के बाद उप भूमि व्यवस्था आयुक्त सुनील कुमार चौधरी ने लिखापढ़ी की है। 18 सितंबर को उप भूमि व्यवस्था आयुक्त ने लंबित वादों की सूची जारी कर डीएम से कहा है कि स्पष्ट प्रावधान है कि सहायक कलेक्टर कारण बताओ नोटिस जारी करने के दिनांक से 90 दिन की अवधि के भीतर कार्रवाई को पूरा करने का प्रयास करेगा और यदि कार्रवाई पूर्ण नहीं होती है तो उसके लिए कारण स्पष्ट करेगा। फिर भी एक साल से अधिक अवधि के इतनी अधिक संख्या में वाद निस्तारण के लिए लंबित हैं? वादों पर एक नजर

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उप्र राजस्व संहिता-2006 की धारा-67 के तहत एक मई 2017 से 10 सितंबर 2018 तक जिले में कुल 3139 वाद दाखिल हुए हैं। इसमें अभी तक 1513 वादों का निस्तारण तहसीलदार न्यायालय से हुआ है। वर्तमान में 1626 वाद लंबित चल रहे हैं। क्या है धारा-67

उप्र राजस्व संहिता की धारा-67 में ग्राम सभा की संपत्ति में क्षति, दुरुपयोग व गलत अभियोग को रोकने की शक्ति निहित है। सार्वजनिक संपत्ति क्षतिग्रस्त करने या दुरुपयोग होने पर सहायक कलेक्टर (तहसीलदार) संबंधित व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस जारी करते हैं कि क्यों न उससे क्षति, दुरुपयोग या गलत अभियोग के लिए प्रतिकर की वसूली की जाए और क्यों न उसे ऐसी भूमि से बेदखल किया जाए। स्पष्टीकरण अपर्याप्त होने की दशा में सहायक कलेक्टर ऐसे व्यक्ति को भूमि से बेदलख करने का आदेश देते हैं। वर्जन--

धारा-67 में ग्राम समाज की जमीन के अवैध कब्जों से जुड़े वादों का निस्तारण होता है। ये वाद दाखिल होने के 90 दिनों में निस्तारित करने का प्रावधान है। लंबित मामलों में पीठासीन अधिकारियों को निर्देश जारी किए जा रहे हैं।

- विनय पाठक, अपर जिलाधिकारी


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