मस्जिदों से की गई अमन चैन की दुआ
सीतापुर : अलवदा..अलवदा या सहर रमजान! कुछ इन्हीं सदाओं के साथ रमजान के आखिरी शुक्रवार
सीतापुर : अलवदा..अलवदा या सहर रमजान! कुछ इन्हीं सदाओं के साथ रमजान के आखिरी शुक्रवार यानी जुमे को जिलेभर की मस्जिदों में नमाज के दौरान खुत्बे के जरिए रमजान को अलविदा कहा गया। अलविदा की नमाज के बाद यह तय हो जाता है कि अब रमजान आखिरी पड़ाव पर है। ऐसे में रमजान के बचे हुए वक्त में लोग अपनी इबादतों में और इजाफा कर दें। आने वाले साल में खुदा जाने रमजान नसीब होगा या नहीं, इस सोच के साथ लोग इबादत में अपनी दिलचस्पी और बढ़ा देते हैं। साथ ही अलविदा नमाज के बाद ईद की खुशियां भी लोगों में बढ़ जाती हैं।
शुक्रवार को पूरे जिले में अकीदत व एहतराम के साथ अलविदा की नमाज पढ़ी गई। शहर की मोहल्ला कोट स्थित मरकज मस्जिद के अलावा कर्बला, मन्नी चौराहा, कजियारा, शेखसरांय, पटिया, मिरदही टोला, हबीब अशरफ, बटसगंज, बाल्दा कालोनी, रंपा, आलमनगर, होलीनगर सहित तमाम मस्जिदों में शांति व सौहार्द के साथ अलविदा की नमाज अदा की गई। इसके अलावा लहरपुर के शहर बाजार मरकज मस्जिद, मीटा टोला, गुरखेत बाजार सहित पूरे कस्बे में अलविदा की नमाज हुई। इसके साथ ही महोली, मिश्रिख, हरगांव, तालगांव, तंबौर, रेउसा, बिसवां, महमूदाबाद, सिधौली, अटरिया, कमलापुर, मछरेहटा, संदना, पिसावां आदि कस्बों में भी सैकड़ों मसजिदों में अलविदा की नमाज पढ़ी गई। मस्जिदों में लोगों ने नमाज के बाद मुल्क की तरक्की व अमन-चैन के लिए अल्लाह पाक से दुआएं मांगी।
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रोजा न रखने वाले होंगे गुनाहगार
कारी सलाहुददीन रमजान के बारे में बताते हैं कि रमजान के मुबारक महीने में जो जानबूझ कर बिना किसी सरई उज्र के रोजा नहीं रखेगा, वह गुनहगार होगा। उन्होंने बताया कि रमजान रहमत व बरकत का महीना है। जो इससे महरूम रह गया, उसने सब कुछ खो दिया। रोजा रखने से इंसान के अंदर तकवा व परहेजगारी आती है। आदमी जब पानी नहीं पीता तो उसे पानी की कद्र मालूम होती है। जब भूखा रहता है तो उसे गरीबों की गरीबी ख्याल आती है। लिहाजा इंसान दूसरों का मददगार बनने का प्रयास करता है।