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इंसानों को जीने का सलीका सिखाता है रमजान

सीतापुर : मुसलमानों के लिए सबसे मुबारक महीना रमजान बेहद खास है। यह इबादत, सब्र और परहेज

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 May 2018 09:44 PM (IST)Updated: Thu, 17 May 2018 09:44 PM (IST)
इंसानों को जीने का सलीका सिखाता है रमजान
इंसानों को जीने का सलीका सिखाता है रमजान

सीतापुर : मुसलमानों के लिए सबसे मुबारक महीना रमजान बेहद खास है। यह इबादत, सब्र और परहेजगारी का महीना है। इस महीने को खास तौर से इबादत के लिए ही जाना जाता है। रोजा रखने के अलावा तरावीह की नमाज में कुरआन सुनना बेहद जरूरी है। साथ ही कुरआन की तिलावत, तस्बीहात व नमाजों की कसरत रखनी चाहिए।

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कारी सलाहुद्दीन बताते हैं कि रोजा सिर्फ भूखा रहने का ही नाम नहीं है, बल्कि रोजा पूरे शरीर (जिस्म) का होता है। जैसे नजरों से बुरी चीज न देखें। हाथों से कोई गलत काम न करें। पैरों से बुरे कामों के लिए न चलें। कानों से बुरी बात न सुनें और न ही मुंह से बुरी बात निकालें। दिल और दिमाग में भी बुरे ख्याल न आने दें।

रोजेदार इन बातों पर रखें ध्यान

रमजान की हर रात उससे अगले दिन के रोजे की नियत कर सकते हैं। बेहतर यही है कि रमजान के महीने की पहली रात को ही पूरे महीने के रोजे की नियत कर लें। यदि जानबूझ कर रमजान के रोजे के अलावा किसी और रोजे की नियत की जाती है तो वह रोजा कबूल नहीं होगा और ना ही वो रमजान के रोजे में शुमार होगा। बेहतर है कि आप रमजान का महीना शुरू होने से पहले ही पूरे महीने की जरूरत का सामान खरीद लें, ताकि आपको रोजे की हालत में बाहर न भटकना पड़े और आप ज्यादा से ज्यादा वक्त इबादत में बिता सकें।

बढ़ जाता है नेकियों का सवाब

रमजान के महीने में नेकियों का सवाब 10 से 70 गुना तक बढ़ा दिया जाता है। रमजान के महीने में ज्यादा से ज्यादा इबादत करें, रमजान में कुरान की तिलावत, नमाज की पाबंदी, जकात, सदका और अल्लाह का जिक्र करें। रमजान को तीन अशरों में बांटा गया है। पहले 10 दिन को पहला अशरा कहते हैं, जो रहमत का है। दूसरा अशरा अगले 10 दिन को कहते हैं, जो मगफिरत का है और तीसरा अशरा आखिरी 10 दिन को कहा जाता है जो कि जहन्नुम (नर्क) से आजादी का है।

ऐसे नहीं टूटता रोजा

रोजे की हालत में अगर कोई जानबूझकर कुछ खा ले तो उसका रोजा टूटा जाता है, लेकिन अगर कोई गलती से कुछ खा-पी ले तो उसका रोजा नहीं टूटता है। अगर रोजेदार दांत में फंसा हुआ खाना जानबूझकर निगल जाता है तो उसका रोजा टूट जाता है। मुंह का पानी निगलने से रोजा नहीं टूटता है। कोई खाने की चीज जिसके खाने से रोजा टूट जाता है, जबरदस्ती किसी रोजेदार के हलक में डाल दिया जाए और वो उसे निगल जाए तो रोजा नहीं टूटता है।

बुरी लतों से रहें दूर

रमजान के महीने में इंसान बुरी लतों से अक्सर दूरी बना लेता है। सिगरेट की लत छोड़ने के लिए रमजान का महीना बहुत अच्छा है। रोजा रखकर सिगरेट या तंबाकू खाने से रोजा टूट जाता है। रोजे की हालत में दांत निकलवाने से रोजा मकरूह हो जाता है। या रोजे में कोई ऐसा काम करने से जिससे मुंह से खून निकलने लगे, इससे भी रोजा मकरूह हो जाता है।

हर जायज दुआ कबूल करता है अल्लाह

रमजान के महीने में अल्लाह अपने बंदों पर खास करम फरमाता है और उसकी हर जायज दुआ को कबूल करता है। रमजान में जन्नत (स्वर्ग) के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम (नर्क) के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। रमजान में नमाज के बाद कुरान पाक की तिलावत की आदत डालें, इसका बहुत सवाब है। रमजान के महीने में कोशिश करें कि आप हर वक्त बा-वजू रहें। रात को जल्दी सोने की आदत डालें, ताकि आप फज्र की नमाज के लिए उठ सकें।


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