नौनिहालों पर डेंगू के डंक का खतरा
शहर के स्कूलों में पढ़ रहा देश का भविष्य खतरे में है।
सीतापुर : शहर के स्कूलों में पढ़ रहा देश का भविष्य खतरे में है। स्कूल परिसर से लेकर गेट तक गंदगी और और जलभराव के कारण खतरा अधिक है। बिना जूता-मोजा स्कूल आते नौनिहाल डेंगू की जद में आ सकते हैं। यहां स्वच्छता की शपथ और डेंगू से बचाव के लक्षण तो सिखाए जाते हैं, लेकिन डेंगू के खतरे को दूर नहीं किया जाता। ग्रामीण इलाके के अधिकांश स्कूलों में भी छात्र चप्पल पहन के ही आते हैं। इसके अलावा अभी कई स्कूल ऐसे भी हैं, जहां पर बच्चे हाफ पैंट-शर्ट पहन रहे हैं।
स्कूल के पास बहता नाला, खुले में बैठते बच्चे
डेंगू व अन्य बीमारियों का सबसे अधिक खतरा है प्राथमिक विद्यालय लोनियनपुरवा में। स्कूल के पास नाला तो बहता ही है, गंदगी भी रहती है। बच्चों के बैठने के लिए भवन भी नहीं है। खुले में बैठने वाले बच्चे कभी भी बीमार पड़ सकते हैं। अधिकांश बच्चे जूता-मोजा भी पहनकर नहीं आते।
स्कूल में ही डालते हैं कूड़ा
शहर के प्राथमिक विद्यालय लोहारबाग परिसर को ही कूडा डंपिग प्वाइंट बना दिया गया है। पालिका के सफाईकर्मी परिसर के अंदर ही कूड़ा डाल जाते हैं। पौधों की सिचाई आदि के पंप से पानी भी चलाया जाता है जो परिसर में ही जमा होता है। प्राथमिक विद्यालय तरीनपुर द्वितीय के पास भी गंदगी का अंबार रहता है। पानी आपूíत का पंप होने से पास में जलभराव भी रहता है।
गेट पर कूड़े का ढेर, अंदर स्वच्छता की सीख
सफाईकर्मी हिदू कन्या इंटर कॉलेज के गेट पर शहर का कूड़ा डालते हैं। कॉलेज में आए दिन स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम होते रहते हैं। छात्राओं को स्वच्छता की शपथ भी दिलाई जाती है। उजागरलाल इंटर कॉलेज, लखनऊ पब्लिक स्कूल, सिघानिया एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के सामने भी पानी भरा रहता है।
बीएसए जारी कर चुके निर्देश
बीएसए ने स्कूलों में साफ-सफाई व बच्चों को फुल शर्ट व जूता-मोजा पहनकर आने का निर्देश दिया है, लेकिन शहर से लेकर ग्रामीण इलाके के स्कूलों के पास की गंदगी को दूर करने का प्रभावी प्रयास अब तक नहीं हुआ।