पंचवटी, संकरी का कर रहे रोपण, बचा रहे पर्यावरण
महोली के पाताबोझ निवासी अनिल सिंह को है पौधारोपण का शौक। लोकभारती संस्था के माध्यम से पंचवटी व संकरी का कराते हैं रोपण। मंदिरों से लेकर सार्वजनिक स्थलों पर रोपे हैं पौधे।
सीतापुर: शुद्ध हवा में हर कोई सांस लेना चाहता है। लेकिन इस हवा को शुद्ध रखने के प्रति कुछ ही लोग संजीदा होते हैं। जो पर्यावरण को संरक्षित करने का हर संभव कार्य करते हैं। उनमें से एक महोली क्षेत्र के ग्राम पाताबोझ निवासी अनिल सिंह भी हैं। वह न केवल पौधारोपण का काम पूरी लगन के साथ करते हैं, बल्कि और लोगों को पौधों की नर्सरी भेंट कर पौधारोपण के लिए प्रेरित भी करते हैं। पौधारोपण का शौक उन्हें बचपन से है। लेकिन जब से पर्यावरण और पौधारोपण का कार्य करने वाली संस्था लोकभारती से उनका जुड़ाव हुआ तो यह कार्य मिशन आधारित हो गया। लोकभारती में संच प्रमुख का दायित्व है। इस संस्था के माध्यम से न केवल सीतापुर बल्कि हरदोई व लखीमपुर में भी इस कार्य को स्वयं करते और लोगों से कराते भी हैं। पंचवटी व संकरी दोनों पर्यावरण संरक्षण में सबसे महत्वपूर्ण हैं। इन स्थानों पर किया है पंचवटी व संकरी का रोपण
महोली में कठिना नदी के किनारे, महमूदाबाद में माता संकटा देवी मंदिर परिसर, बिसवां के टिकरी, नैमिषारण्य में व्यास गद्दी, गोमती नदी के किनारे तथा देवदेवेश्वर मंदिर के आसपास पौधारोपण कर चुके हैं। संकरी व पंचवटी में रोपे जाने वाले पौधे
संकरी में तीन पेड़ एक पास लगे होते हैं। जिनमें एक ही पास बरगद, पीपल व गूलर के पौधों का रोपण किया जाता है। वहीं पंचवटी में पांच पेड़ होते हैं। जिनमें अशोक, गूलर, पाकड़, पीपल, बरगद का पौधा लगाया जाता है। संकरी व पंचवटी के पौधों की एक विशेषता यह है कि अलग अलग समय पर हर पेड़ में छोटे छोटे फल उगते हैं। जिनको पक्षी चाव से खाते हैं। साथ ही घनी छाया में पशु व पक्षियों को आश्रय भी मिल जाता है।