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36 बेड के अस्पताल में सिर्फ दो डाक्टर, मरीज हो रहे रेफर

विशेषज्ञ एक भी नहीं एक्सरे व अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं चार एंबुलेंस खराब हालत में खड़ीं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 11:21 PM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 11:21 PM (IST)
36 बेड के अस्पताल में सिर्फ दो डाक्टर, मरीज हो रहे रेफर

संतोष मिश्र, सीतापुर

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सीएचसी सांडा में अधीक्षक सहित कुल दो ही डाक्टर हैं। एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है। ऐसे में मरीजों का इलाज कैसे होता होगा। इसका अनुमान सहज लगाया जा सकता है। गुरुवार को 10.25 बजे पंजीकरण काउंटर पर कर्मचारी नहीं आया था। कई मरीज पर्चा बनवाने के लिए इंतजार में खड़े थे। ओपीडी में 10.40 बजे एक भी डाक्टर मौजूद नहीं था। अधीक्षक, इमरजेंसी रूम व चिकित्साधिकारी रूम में कुर्सियां खाली थीं। 10.45 बजे भी ओपीडी में मरीज डाक्टर व कर्मचारियों के आने का इंतजार कर रहे थे।

दवा काउंटर, टीबी रूम, आरबीएसके रूम बंद था। कोविड टीकाकरण रूम पर भी ताला लटक रहा था। मुख्य गेट पर स्थित कोविड डेस्क पर भी कोई कर्मचारी नहीं था। काउंसलर रूम भी बंद था। इनसे संबंधित मरीज कर्मचारियों के इंतजार में चहलकदमी कर रहे थे। चेतराम, राजाराम व राम शंकर ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर वैक्सीनेशन के लिए आए थे, अभी तक रूम नहीं खुला, कर्मचारी तो दूर की बात है।

संतोष, मेवालाल, भगौती ने बताया कि दवा लेने आए थे, अभी तक पंजीकरण शुरू नहीं हुआ। वहीं, प्रसव कक्ष में कई महिलाएं थीं। प्रसव के बाद भर्ती सावित्री ने बताया कि बेड पर चादर नहीं है।

स्टाफ नर्स नीलम अवस्थी ने बताया कि 21 अक्टूबर से 20 नवंबर तक 323 प्रसव हुए हैं। स्वास्थ्य केंद्र में केवल कफ, बलगम, हीमोग्लोबिन, यूरिन व कोविड की जांच होती है। अस्पताल में आयुष्मान मित्र की तैनाती नहीं है। दो एंबुलेंस की सुविधा है, चार खराब हालत में खड़ी हैं।

अधीक्षक सांडा सीएचसी डा. मनोज देशमणि ने बताया कि मैं कोविड वैक्सीनेशन के निरीक्षण के लिए क्षेत्र भ्रमण पर आया हूं। डाक्टरों की कमी है। एक भी विशेषज्ञ नहीं है। ओपीडी में मौजूद न रहने वाले कर्मचारियों से स्पष्टीकरण लिया जाएगा। उपलब्ध संसाधनों के सापेक्ष मरीजों को सुविधा दी जा रही हैं। विभिन्न समस्याओं के लिए अधिकारियों को पत्र लिखा है। उम्मीद है कि उनका निदान होगा।

बेड पर पड़े गद्दों की रैक्सीन कटी :

36 बेड वाले अस्पताल में अव्यवस्थाएं बहुत हैं। मरीजों के बेड पर चादर नहीं मिली। गद्दों की रैक्सीन कटी थी। महिला वार्ड में भर्ती कई मरीज अपना बिस्तर बेड पर बिछाए थे।

विशेषज्ञ नहीं, रेफर हो रहे मरीज :

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हड्डी रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ व महिला रोग विशेषज्ञ नहीं है। महिला मरीज अधिक आतीं हैं। विशेषज्ञों के अभाव में मरीजों को बिसवां सीएचसी रेफर किया जाता है।

एक्सरे की समस्या :

स्वास्थ्य केंद्र में एक्सरे व अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा नहीं है। मरीज को लेकर तीमारदार जांच कराने के लिए बाहर दौड़भाग करते हैं। मरीज को लाना और ले जाना परेशानी का कारण बनता है।


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