एकीकृत नहीं हो पाई मलिन बस्तियां, अधर में योजना
20 जून 2009 में कॉलोनी का हुआ था शिलान्यास
पीयूष बाजपेयी, बिसवां (सीतापुर) : फुटपाथ पर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को पक्का आवास देने के लिए 252 आवासों की एक कॉलोनी वर्ष 2009 में बननी शुरू हुई थी। ये कॉलोनी कस्बे के समीप शारदा सहायक पोषक नहर किनारे पुरैनी गांव के बाहर निर्माणाधीन है। पिछले कई वर्षों से काम भी बंद है। कॉलोनी बनने की योजना का मकसद मलिन बस्तियों का एकीकृत विकास करना था पर, ऐसा कुछ संभव नहीं हो पाया।
आवंटन प्रक्रिया में भी हीलाहवाली
पालिका कार्यालय के मुताबिक, वर्ष 2014 में करीब 300 आवेदन सत्यापन के लिए तहसील भेजे गए थे। इसमें 125 आवेदक पात्र पाए गए थे। इसमें उस दौरान सिर्फ 15 लाभार्थियों को आवास आवंटित किए गए। हालांकि इस कॉलोनी में भी कोई परिवार रहता नहीं है। वजह ये बताई जा रही है कि लाभार्थियों के लिए आवास ही कंपलीट नहीं हैं।
ये काम हैं अधूरे
कॉलोनी में बिजली कनेक्शन नहीं है। आवासों में वायरिग होनी बाकी है। सीवर लाइन अधूरी है। पानी टंकी है पर, सबमर्सिबल नहीं है। आवासों में पानी की टोटियां भी नहीं लगी हैं। 96 आवासों में दरवाजा-खिड़की नहीं है। 36 आवासों में प्लास्टर व फर्श नहीं लगी है। भवन निर्माण सामग्री भी चोरी हो रही है और कुछ कमरे व खिड़कियां जर्जर हो रही हैं।
कॉलोनी हैंडओवर नहीं..
एक साल पहले 14 लाभार्थियों को आवास आवंटित किए गए थे और 125 आवेदकों की पात्रता जांचने के लिए तहसील प्रशासन को सूची भेजी थी। तहसील से अभी कोई रिपोर्ट नहीं आई है। कॉलोनी अभी नगर पालिका को हैंडओवर भी नहीं हुई है।
- डॉ. देवेंद्र श्रीवास्तव, अधिशासी अधिकारी-नगर पालिका
कार्यदायी संस्था को पत्र लिखे हैं..
कॉलोनी को कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस बना रही थी। बजट मिलने में देरी हुई और भवन की लागत बढ़ती गई। शायद इसीलिए ये कॉलोनी अभी तक कंपलीट नहीं हो सकी है। हालांकि हमने एक-दो सीएंडडीएस के अधिकारियों को पत्र भी लिखे हैं।
- सुधीर गिरि, परियोजना अधिकारी-डूडा