जैविक खाद से फसलें उगा मुनाफा कमा रहे श्वेतांक
ठ्ठद्ग2 द्घश्रह्मद्वद्बठ्ठद्दठ्ठद्ग2 द्घश्रह्मद्वद्बठ्ठद्दठ्ठद्ग2 द्घश्रह्मद्वद्बठ्ठद्दठ्ठद्ग2 द्घश्रह्मद्वद्बठ्ठद्दठ्ठद्ग2 द्घश्रह्मद्वद्बठ्ठद्द
विनय मिश्र, रेउसा (सीतापुर) :
क्षेत्र के सिकौहा गांव निवासी श्वेतांक त्रिपाठी क्षेत्र में बिल्कुल अलग हटकर खेती करने के लिए जाने जाते हैं। उनका यह प्रयास किसानों के लिए मॉडल बना है। श्वेतांक जैविक खाद से फसलें उगाका इनकी आपूर्ति लखनऊ मंडी के जैविक बाजार में करते हैं। इस बाजार में उनके उत्पाद फटाफट बिक रहे हैं। आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर खेती कर रहे श्वेतांक ने इस क्षेत्र में सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। किसान उनके खेतों पर तकनीक व फसलों को देखने आते हैं। श्वेतांक अपने खेत पर ही जैविक खाद तैयार करते हैं। फिर इसका प्रयोग खेत में कर फसलें उगाते हैं। जैविक खाद के उत्पाद पौष्टिक होने के साथ-साथ उनमें किसी तरह के रासायनिक तत्व भी नहीं पाए जाते। जैविक खाद के उत्पादों की मंडी में मांग अधिक है। जबकि आपूर्ति बहुत कम। ऐसे में श्वेतांक के उत्पाद मंडी में पहुंचे नहीं कि बिक गए। इससे श्वेतांक को अपने उत्पादों के मनमाने रेट भी मिलते हैं। श्वेतांक बताते हैं कि संजीवनी अमृत नाम की जैविक खाद स्वयं बनाते हैं। इसमें 10 किलो गाय का गोबर, 10 लीटर गौ मूत्र, 10 किलो गन्ना की पाती, दो किलो उरद दाल की चूनी, एक मुट्ठी खेत के मेड़ की मिट्टी को एक ड्रम में 100 लीटर पानी में मिलाकर तीन दिन में तैयार कर लेते हैं। संजीवनी अमृत तैयार करने के बाद सात दिन के अंदर इसका प्रयोग खेत में करते हैं। एक लीटर जैविक खाद को बीस लीटर पानी में मिलाकर एक बीघा में छिड़काव करते हैं। इसके अलावा नील हरित सैवाल खाद भी बनाते हैं। इसमें नाइट्रोजन का भंडार है। इसका छिड़काव यूरिया का काम करता है। चाई के लिए वह ड्रिप तकनीक प्रयोग करते हैं। खेत में पाइप बिछाकर टपक विधि से खेतों की सिचाई होती है। श्वेतांक ने बताया कि इस समय केला व तरबूज लगा रहे हैं। विशेष प्रकार की हल्दी का भी उत्पादन करते हैं। पपीता, गन्ना भी खेत में लगा है। कई प्रजातियों के टमाटर की भी खेती करते हैं। जैविक क्लस्टर विधि से जौं, मूली, शलजम, चुकंदर, गाजर, सोया, मेंथी, मिर्च, लहसुन, आलू, फूल गोभी व पत्ता गोभी भी उगाते हैं। जैविक बाजार में यह उत्पाद फटाफट बिक जाते हैं।