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गम, गुस्सा और व्याकुल महमूदाबाद

लखनऊ में हत्या महमूदाबाद में आक्रोश

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 11:27 PM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 11:27 PM (IST)
गम, गुस्सा और व्याकुल महमूदाबाद
गम, गुस्सा और व्याकुल महमूदाबाद

आयुष जैन, महमूदाबाद :

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शुक्रवार रात कस्बे में आम रातों की तरह से सन्नाटा नहीं पसरा था। एक अजीब सी हलचल कस्बे में देख रही थी। खासकर रामकुंड चौराहे पर लोगों का जमावड़ा लग रहा था। जबकि कस्बे की सड़कों पर पुलिस के वाहन लाल-नीली रोशनी फेंकते हुए दौड़ते नजर आ रहे थे। वाहनों के हूटर सन्नाटे को चीर रहे थे और पुलिस की कदमताल बढ़ती जा रही थी। ज्यों-ज्यों रात गहरा रही थी, त्यों-त्यों पुलिस की सरगर्मी बढ़ती ही जा रही थी।

आधी रात के बाद जब लोग नींद में ऊंघ रहे थे, इसी बीच कस्बे में पुलिस की सरगर्मी बढ़ गई। पूरे कस्बे में हर सड़क पर पुलिस बल तैनात हो गया। लखनऊ से आने वाली सड़क पर साढ़े तीन बजे पुलिस के वाहन आते नजर आए। हूटरों की आवाज करते हुए करीब पुलिस के 20 वाहन रामकुंड चौराहा के निकट कमलेश तिवारी के घर पहुंचे। एक वाहन में कमलेश तिवारी का शव था और उसमें ही परिवारजन मौजूद थे। रात गहराने के बावजूद लोगों को यह जानकारी हो गई, कि शव महमूदाबाद कस्बे में आ गया है। लोग घरों से निकलकर रामकुंड चौराहे पर जुटने लगे। 3 बजकर 40 मिनट पर एएसपी एमपी सिंह, एसडीएम गिरीश झा, सीओ समर बहादुर व उदय प्रताप सिंह परिवार से मिले, मां कुसमा देवी, पत्नी किरन देवी व पिता राम शरण को समझाने का प्रयास करने लगे। परिवार सीएम के आने तक अंत्येष्टि न करने पर अड़ गया। एक घंटे की वार्ता विफल रही। इधर सुबह ही पौ फटते ही भीड़ बढ़ने लगी। 8 बजे तक पूरा का पूरा कस्बा रामकुंड चौराहे पर उमड़ आया था। बढ़ती भीड़ को देख, कस्बे के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस को वार्ता स्थल बना दिया। कमलेश तिवारी के परिवारजनों को गेस्ट हाउस ले जाया गया। कमिश्नर मुकेश कुमार मेश्राम व आइजी एसके भगत पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस पहुंचे। 45 मिनट तक वार्ता चली, तब कहीं जाकर परिवारजन माने। जिसके बाद 2 बजकर 15 मिनट पर जब शव अंत्येष्टि के लिए उठाया गया। तब पूरा का पूरा कस्बा जयश्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा। एक बाग में पहुंचकर शव की अंत्येष्टि हुई। हालत यह थी कि परिवार गम में था तो समर्थक गुस्से में थे।

हरदोई, लखीमपुर व बहराइच का पुलिस बल भी लगा

महमूदाबाद कस्बे में सीतापुर जिले का पुलिस बल तो तैनात था ही। वहीं पड़ोसी जिला लखीमपुर के पांच थानों का पुलिस बल, बहराइच व हरदोई जिले का पुलिस बल कस्बे में तैनात किया गया था। अधिकारियों को स्थिति संभालने में पसीने छूट रहे थे। डर यह था, कि वारदात तो लखनऊ में हुई है, लेकिन स्थिति यहां न बिगड़ जाए।


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