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मिलें बंद होने से बढ़ी बेरोजगारी

सीतापुर : देश में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए देश-विदेश के उद्योगपतियों के लिए भले ही सूबे मे

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 11:52 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 11:52 PM (IST)
मिलें बंद होने से बढ़ी बेरोजगारी

सीतापुर : देश में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए देश-विदेश के उद्योगपतियों के लिए भले ही सूबे में उद्योग लगाने का रास्ता साफ किया हो, लेकिन जिले में अभी तक इसका असर नहीं हुआ है। उल्टे जिले की पहचान रहे कई बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठान बंदी के बाद से विलुप्त होने की दहलीज पर पहुंच गए हैं। जिले की एशिया प्रसिद्ध महोली चीनी मिल समेत दो मिलें बंद पड़ी हैं। सुहागिन फैक्ट्री, एशिया प्रसिद्ध प्लाईवुड फैक्ट्री व सहकारी कताई सूत मिल भी बंद हो चुकी हैं। मिलों के बंद होने से हजारों कर्मचारी व मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं।

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दो चीनी मिले बंद

जिले में निजी क्षेत्र की रामगढ़, जवाहरपुर, बिसवां, हरगांव चीनी मिल सहित महमूदाबाद की सहकारी चीनी मिल चल रहीं हैं। इसके अलावा बीते दो दशकों से अपने उत्पादन को लेकर एशिया प्रसिद्ध रही महोली चीनी मिल और कमलापुर चीनी मिल बंद है। इस मिल पर किसानों का 12 करोड़ से भी अधिक रुपये बकाया है। प्रसिद्ध प्लाईवुड फैक्ट्री भी बंद

जिले में निर्मित प्लाई का डंका न स़र्फि भारत में बजता था, बल्कि एशिया के विभिन्न देशों तक इसकी प्लाई की डिमांड थी। प्लाईवुड प्रोडक्ट प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री की स्थापना अंग्रेज उद्योगपति थॉमसन ने की थी। थॉमसन जब भारत छोड़कर इंग्लैंड वापस जाने लगे, तो उन्होंने इसे व्यवसायी जफरुल्लाह को बेच दिया था। यहां रेल मार्ग द्वारा असम तक की लकड़ी आती थी, लेकिन छोटी-बड़ी मांगों को लेकर श्रमिक संगठनों द्वारा हड़ताल, धरना-प्रदर्शन आदि होने लगे। जिससे उत्पादन में गिरावट आने लगी। अंतत: इस फैक्ट्री को बंद कर दिया गया। सूत कताई मिल में ताला

महमूदाबाद क्षेत्र में सहकारी सूत कताई मिल सेमरी चौराहा के पास स्थापित की गई थी। कुछ वर्षों तक तो वह

चली, लेकिन नेताओं एवं श्रमिक संगठनों के धरना-प्रदर्शनों के चलते मिल घाटे में चली गई और आ़िखरकार उसे बंद करना पड़ा। कर्मचारियों को वीआरएस का लाभ देकर नौकरी से छुट्टी कर दी गई। नाम की बची सुहागिन फैक्ट्री

सुहागिन फैक्ट्री का वनस्पति घी पूरे देश में सबसे अच्छा माना जाता था, उसे कथित मिलावट की सूचना पर तत्कालीन जिलाधिकारी विजय शंकर पांडेय ने प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई करके बंद करा दिया। तबसे आज तक इस फैक्ट्री में वनस्पति घी का उत्पादन नहीं हो सका और इसमें काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारी एवं श्रमिक बेरोजगार हो गए।


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