डॉक्टर साहब तो आए ही नहीं
द्वद्गस्त्रद्बष्ड्डद्य द्धश्रह्यश्चद्बह्लड्डद्यद्वद्गस्त्रद्बष्ड्डद्य द्धश्रह्यश्चद्बह्लड्डद्य
तंबौर (सीतापुर) : बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में मरीज बड़ी उम्मीदों के साथ सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं। लेकिन जब दरवाजे बंद और डॉक्टरों की कुर्सियां खाली मिलती हैं तो लोग निराश होते हैं। सीएचसी तंबौर का हाल कुछ ऐसा ही है। सीएचसी में पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं। मंगलवार की सुबह 10:30 बजे मरीजों की भीड़ लगी थी। दिलीप मिश्रा बाहर धूप में बैठकर पर्चा बना रहे थे। औषधि कक्ष भी बंद मिला। एक कमरे में डॉ. कमाल अहमद अकेले बैठे थे। 10:32 बजे ओपीडी कक्ष संख्या एक भी बंद मिला। 10:33 बजे सीएचसी अधीक्षक की कुर्सी भी खाली पड़ी थी पता चला आए नहीं हैं। 10:34 बजे धूम में डाली गई डॉक्टरों के लिए कुर्सियां खाली थी। महिला मरीज इंतजार करते मिलीं। फार्मासिस्ट की भी कुर्सी खाली मिली। 10:36 बजे एक्सरे कक्ष खुला था, बिजली न होने से अंधेरा पसरा था। बताया गया जनरेटर है लेकिन कम चलता है। 10:42 पैथालाजी की खिड़की खुली थी लेकिन अंदर कोई मौजूद नहीं था। नेत्र चिकित्सक कक्ष में भी ताला लटक रहा था। 10:38 बजे कार्यालय भी बंद मिला। महिला डॉक्टर का पद रिक्त चल रहा है। जिससे महिला मरीजों को दिक्कतें होती हैं। सीएचसी का वाटर कूलर खराब है। जिससे पेयजल के लिए मरीज व तीमारदार परेशान होते हैं। प्रसाधन बने हैं लेकिन ताला पड़ा रहता है। अस्पताल की बाउंड्री गिरी पड़ी है। परिसर में सफाई व्यवस्था भी ठीक नहीं मिली। मरीजों के बेड चादर विहीन मिले। दवाओं को लेकर मरीज कृपाल ने बताया कि वितरक ने बताया दवाएं कम हैं। मुख्यालय से शीघ्र मंगाई जाएंगी। नरेंद्र ने बताया कि जांच सुविधाएं न के बराबर हैं। सरिता ने बताया कि महिला डॉक्टर न होने से 65 किलोमीटर दूर सीतापुर ही जाना पड़ता है। लैब टेक्नीशियन अमर ¨सह व राजेश पांडेय तैनात हैं पर महीने में दो से तीन दिन ही आते हैं। स्टाफ नर्स की ड्यूटी पर हेमा ¨सह व सुमन यादव की थी, लेकिन हेमा ¨सह ही मौजूद मिली। सीएचसी अधीक्षक डॉ. नीरज गोयल ने बताया कि वह बाहर हैं। अधिकृत बयान के सवाल पर कहा कि वह अधिकृत नहीं हैं। अस्पताल में दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था कराई जाएगी। जो डॉक्टर व कर्मचारी समय पर नहीं आ रहे उनकी जांच कर सख्त कार्रवाई करेंगे। स्वयं सीएचसी का औचक निरीक्षण करेंगे, जो कमियां होंगी उनको दूर करेंगे।
डॉ. आरके नैयर, सीएमओ