'थ्री इडियट' का कमाल, ऑटो में घुसते ही बरसे सैनिटाइजर
इंजीनियरिग डे-- - कोरोना काल में संक्रमण से बचाव के लिए हुए काफी प्रयास आविष्कारों ने खूब बटोरीं सुर्खियां
सीतापुर : कोरोना संक्रमण को हराने में जहां डॉक्टर पूरी निष्ठा के साथ लगे रहे हैं, वहीं हुनरमंद भी लोगों को कोरोना से बचाने के लिए नए-नए तरीके इजाद किए हैं। उनकी इंजीनियरिग देख लोग अचंभित हो गए। नौ वर्ष की बच्ची ने जहां एअर कूलर को देख प्रेरणा लेकर ऑटोमैटिक सैनिटाइजर मशीन बना दी। वहीं, लहरपुर के 'थ्री इडियट' ने भी अपना हुनर दिखाकर ऑटो रिक्शा पर ऑटोमैटिक मशीन लगा दी।
आराध्या की इंजीनियरिग से अभिभावक भी अचंभित
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शहर की नई बस्ती मुहल्ले के निवासी मनीष बाजपेई रेल विभाग में वरिष्ठ वाणिज्य निरीक्षक हैं। इनकी नौ वर्षीय बेटी आराध्या ने बहुत की कम लागत वाली सैनिटाइजर मशीन को बनाया है। जिसे डीआरएम ने हरदोई रेलवे स्टेशन के आरक्षण केंद्र पर स्थापित कराया है। आराध्या कक्षा-3 की छात्रा है। उसके इंजीनियरिग के हुनर ने चौका दिया है। मनीष बताते हैं कि बेटी ने एअर कूलर के पंखे को देखकर कहा, पापा हमें छह वॉट की डीसी मोटर ला दीजिए। फिर एक डिब्बे में डीसी टुल्लू लगाकर उसी में बैटरी, कनेक्टर व पुश बटन लगा है। जिसे दबाने पर सैनिटाइजर निकलता रहता है। पूरा सिस्टम 150-160 रुपये में तैयार हो जाता है। मनीष बताते हैं कि बेटी के इस हुनर को देख वे भी अचंभित हैं क्योंकि बेटी अभी सिर्फ नौ साल की ही है। नासिर, शमी व छोटू की इंजीनियरिग भी कमाल की
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लहरपुर के नासिर शाह, शमी और छोटू की इंजीनियरिग की लोगों के बीच में काफी तारीफ है। इन तीनों ने मिलकर ऑटो रिक्शा पर ऑटोमैटिक सैनिटाइजर मशीन फिट कर दी। ऑटो रिक्शा पर जैसे ही कोई व्यक्ति चढ़ता है कि ऑटोमैटिक फव्वारे से सैनिटाइजर गिरने लगता है। इनके इस कार्य में अशरफ बिलाल ने सहयोग किया। चिक्की टोला निवासी वेल्डर नासिर शाह ने पहले ऑटो रिक्शा को ऊंचा बनाया और उसी में दोनों तरफ से चढ़ने वाली सीढि़या बनाई। फिर उसे चारों ओर पॉलीथिन कवर्ड कर दिया। इसके बाद खानपुर शादात गांव के इलेक्ट्रीशियन शमी व छोटू ने ऑटो रिक्शा में छिड़काव मशीन फिट कर दी। इस मशीन में वर्जिनल नोजल को हटाकर उसे अपने हिसाब से दो नोजल नीचे व दो ऊपर फिट किए। फिर उसे ऑटो के इंजन कनेक्ट किया जो ऑटोमैटिक ऑन-ऑफ होती है। ऑटो रिक्शा के अंदर व्यक्ति के दाखिल होते ही सैनिटाइजर फव्वारे से निकलने लगता है। इन लोगों ने फिक्स टनल बनाकर उसे सीएचसी लहरपुर को दिया था। अशरफ बिलाल बताते हैं कि कोरोना काल में इस ऑटोमैटिक सिस्टम की डिमांड तो बहुत आई पर लॉकडाउन में सामान न मिल पाने से वे लोगों की डिमांड पूरी नहीं कर पाए।