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एक-दूसरे के पूरक हैं समाज, साहित्य और पाठक

संस्कार भारती की ओर से किया गया ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन। इसमें मुख्य अतिथि विजय त्रिपाठी ने समाज साहित्य व पाठक एक-दूसरे का पूरक बताया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 10:11 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 10:11 PM (IST)
एक-दूसरे के पूरक हैं समाज, साहित्य और पाठक
एक-दूसरे के पूरक हैं समाज, साहित्य और पाठक

सीतापुर : संस्कार भारती के आनलाइन कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि विजय त्रिपाठी ने कहा कि समाज, साहित्य व पाठक एक-दूसरे के पूरक हैं। कविता, जीवन की राह दिखाती है। जीने का हौसला सिखाती है। अध्यक्षता कर रहे गणेश ताम्रकार ने कहा कि, शब्द ब्रह्म होते हैं और जब कविता रूपी शब्द जमा होते हैं तो सात्विक उर्जा का संचार होता है। दिनेश मिश्र राही ने आधी रोटी खाइ लिहेउ, गांव में रहियवु प्यारी गीत सुनाकर वाहवाही लूटी। छाया त्यागी ने कविता के माध्यम से समाज के उत्थान की बात कही। महिलाओं के अधिकारों को बताया। आनलाइन कवि सम्मेलन में राजकुमार श्रीवास्तव, शुभम शुक्ला, सुनील सारस्वत आदि ने कविता पाठ किया।

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