शहर में जल्द प्रभावी होगी स्वकर निर्धारण नियमावली!
सीतापुर : शहरी निकाय चालू महीने के अंत तक स्व-कर निर्धारण नियमावली लागू करने में जुटी है। आपत्तियों
सीतापुर : शहरी निकाय चालू महीने के अंत तक स्व-कर निर्धारण नियमावली लागू करने में जुटी है। आपत्तियों के निस्तारण के बाद पालिका प्रशासन ने जनहित में इस नियमावली का अंतिम प्रकाशन भी कर दिया है और अब गजट के लिए शासन में भेजा है। इस नई व्यवस्था के बाद पालिका काफी प्रभावशाली हो जाएगी और उसकी आय के संसाधन ही नहीं बढ़ेंगे, बल्कि आय में व्यापक इजाफा होगा।
ईओ सुरेंद्र प्रताप ने बताया, शहरी निकाय ने अपनी सीमा व निकट भविष्य में विस्तार होने वाली सीमा के तहत स्थित भवनों व भूखंडों या दोनों पर जलकर, गृहकर लगाना व उसकी वसूली के लिए स्व-कर निर्धारण नियमावली प्रस्तावित की है। खास ये है कि पालिका की इस नई व्यवस्था में निर्धारित अवधि में कोई भी आपत्ति नहीं आई। ईओ ने कहा, सरकारी गजट में प्रकाशन के बाद स्व-कर निर्धारण नियमावली तत्काल प्रभाव से प्रभावी होगी। इसमे व्यवस्था है कि पालिका अपने पेयजल संसाधनों के आसपास 200 मीटर अर्द्धव्यास की परिधि में स्थित भवनों पर जलकर वसूल करेगी। जलकर, गृहकर का भुगतान भूखंड मालिक द्वारा एक अप्रैल से जुलाई महीने तक करने पर उसे कुल टैक्स में 10 प्रतिशत छूट की सुविधा भी दी जाएगी। यदि उपभोक्ता एक अगस्त से 31 दिसंबर तक एकमुश्त गृह व जलकर अदा करता है तो उसे पांच प्रतिशत की छूट दी जाएगी। वित्तीय वर्ष समाप्ति के बाद भी बकाया करों का भुगतान नहीं किए जाने पर संबंधित को कुल टैक्स के साथ ही 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से सरचार्ज भी देना होगा।
नियत अवधि में दाखिल खारिज
स्व-कर निर्धारण नियमावली में व्यवस्था ये भी है कि कोई भी व्यक्ति भवन एवं भूखंड को या उसके अंश को अन्य के नाम हस्तांतरित कराता है तो इस कार्य के 90 दिवसों के अंदर ग्रहणकर्ता अपने नाम से पालिका अभिलेखों में दर्ज कराएगा। समय रहते ऐसा न करने पर उसे 2 हजार जमा करने के बाद संबंधित भूखंड या भवन उसके नाम अभिलेखों में दर्ज किया जाएगा।
देना होगा 12.5 प्रतिशत टैक्स
स्व-कर निर्धारण नियमावली में सरकारी, अर्द्ध सरकारी व निजी विद्यालय, धार्मिक स्थलों को टैक्स से मुक्त किया गया है। जबकि अन्य व्यावसायिक कार्य जैसे शादी-बरात आदि आयोजनों के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले गेस्ट हाउस आदि के संचालन के संबंध में पालिका से अनुमति लेनी होगी। संचालक को इससे होने वाली आय में 12.5 प्रतिशत धनराशि टैक्स के रूप में देय होगी।