जैन धर्म के पर्यूषण पर्व का शुभारंभ
सीतापुर : जैन धर्म का महापर्व पर्यूषण पर्व शुक्रवार से पारंपरिक तरीके से प्रारंभ हो गया। ज
सीतापुर : जैन धर्म का महापर्व पर्यूषण पर्व शुक्रवार से पारंपरिक तरीके से प्रारंभ हो गया। जैन अनुयायियों ने धूमधाम से महापर्व का आगाज किया। प्रात:काल जैन श्रद्धालुओं ने मंदिर पहुंचकर श्री जी का अभिषेक पूजन किया। मंदिर परिसर में बने जिनालयों में भगवान की प्रतिमाओं का जैन अनुयायियों ने अभिषेक, प्रक्षाल करने के बाद पूजन अर्चन किया। प्रात: से ही पर्यूषण पर्व के प्रति उत्साह देखने को मिला। मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या अधिक रही। प्रथम दिन उत्तम क्षमा धर्म का पालन करते हुए शांत और संयमित जीवन अपनाने का संकल्प लिया। इसी के साथ आज से बेला, तेला, पांच दिन और दसों दिन व्रत रखने का दौर भी शुरू हो गया। पर्यूषण पर्व का प्रथम धर्म उत्तम क्षमा पर्व के रूप में मनाया जाता है। दस धर्माें में यह पहला धर्म माना गया है। भगवान महावीर के संदेश क्षमा वीरस्य भूषणम् का अनुकरण करते हुए सभी जैन धर्मावलंबी संयमित और शांत जीवन जीने का संकल्प लेते हैं। क्षमा वीरस्य भूषणनम् अर्थात क्षमा धर्म वीर पुरुष का भूषण है। क्षमावान पुरुष हमेशा गंभीर रहता है। क्रोधी मनुष्य हमेशा दुबला-पतला रहता है। भगवान महावीर ने अपने उपदेशों में क्षमा को महत्ता दी है। वह कहते हैं मैं सब जीवों से क्षमा चाहता हूं। जगत के सभी जीवों के प्रति मेरा मैत्रीभाव है। मेरा किसी से वैर नहीं है।
उत्तम मार्दव
शनिवार को जैन धर्म पर्यूषण पर्व का दूसरा दिन मनाएगा। यह दिन उत्तम मार्दव के नाम से जाना जाता है। मार्दव का अर्थ है घमंड का त्याग करना और सामने वाले के प्रति सरलता रखना। अर्थात इस दिन समस्त जैनी अपने अंदर से मान, घमंड को त्याग करते हुए सभी के प्रति समान भाव से रहने का संकल्प करता है। यह मार्दव गुण आठ प्रकार के मद से रहित होता है। उन आठ मदों के नाम इस प्रकार हैं, जाति, कुल, बल, ऐश्वर्य, रूप, तप, विद्या और धन। धर्म चार प्रकार की विनय से संयुक्त होता है, ज्ञानविनय, दर्शनविनय, चारित्रविनय और उपचार विनय।