नहीं मिला पैसा तो निरस्त किए टेंडर
सीतापुर : जिला कारागार में मुख्य प्राचीर के निर्माण का कार्य अप्रैल 2011 से उप्र राजकीय निर्माण निग
सीतापुर : जिला कारागार में मुख्य प्राचीर के निर्माण का कार्य अप्रैल 2011 से उप्र राजकीय निर्माण निगम करा रहा है, जो अधूरा ही है। दूसरी बार पुनरीक्षित स्टीमेट स्वीकृत होने के बाद कार्यदायी संस्था को उम्मीद थी कि उसे जल्द ही पैसा प्राप्त हो जाएगा और अधूरा काम पूरा होगा। इसी उम्मीद में संस्था के अपर परियोजना निदेशक ने ई-निविदा पोर्टल पर अपलोड की थी, लेकिन स्वीकृत धनराशि अभी तक संस्था को उपलब्ध नहीं हो सकी है। ऐसे में कार्यदायी संस्था को ई-निविदा पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों को निरस्त करना पड़ा है। वहीं दूसरी तरफ कारागार प्रशासन कार्यदायी संस्था पर अधूरा कार्य पूरा कराने में रुचि न लेने का आरोप लगा रहा है। इन्हीं आरोपों के तहत पहले जिला कारागार अधीक्षक ने और फिर अपर महानिरीक्षक मुख्यालय (कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं) ने कार्यदायी संस्था के अपर परियोजना प्रबंधक को पत्र लिखा है। इन पत्रों को पढ़कर कार्यदायी संस्था खफा है। राजकीय निर्माण निगम के अपर परियोजना प्रबंधक राजमणि ने 19 मार्च को अपर महानिरीक्षक मुख्यालय (कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं) को पत्र लिखकर कहा है, पुनरीक्षित स्टीमेट स्वीकृत होने के बाद नई मुख्य प्राचीर बनाने के कार्य के मद में अवशेष धनराशि अब तक मिली नहीं है, जबकि स्वीकृत धनराशि मिलने की उम्मीद में ही निगम द्वारा कार्य ई-निविदा के माध्यम से कराना प्रस्तावित है। इसी क्रम में 6 मार्च को ई-निविदा पोर्टल पर अपलोड भी कराया गया था लेकिन अवशेष धनराशि अवमुक्त न होने पर निविदा को निरस्त करना पड़ा है। उन्होंने अपर महानिरीक्षक मुख्यालय से अनुरोध किया है कि अवशेष धनराशि अवमुक्त करा दें तो कार्य को निर्धारित अवधि में पूरा कराकर उसे हैंडओवर कराया जा सके।
प्राचीर बनाने में खर्च
कार्य की तकनीकी स्वीकृति 24 अक्टूबर 2011 को मिली।
21 जनवरी 2011 को मूल स्वीकृत लागत 482.40 लाख रुपये थी।
26 दिसंबर 2016 को संशोधित स्वीकृत लागत 644.36 लाख रुपये हुई।
कार्य के लिए अब तक कुल अवमुक्त धनराशि-556.62 लाख रुपये। 1357 मीटर लंबी है प्राचीर
जिला कारागार में निर्माणाधीन मुख्य प्रचीर की कुल लंबाई 1357 मीटर बताई जा रही है। ये प्राचीर 6.70 मीटर ऊंची है।