नौनिहाल खुद के बुने सपने और भरे उड़ान
सीतापुर : बेटा-बेटियों में समानता लाने और इस दिशा में नई पीढ़ी को प्रेरित करने के उद्देश्य से कार्यश
सीतापुर : बेटा-बेटियों में समानता लाने और इस दिशा में नई पीढ़ी को प्रेरित करने के उद्देश्य से कार्यशाला में कई विषयों पर बच्चों की अलग-अलग क्लास लगाई गईं। इसमें सबसे स्पेशल क्लास 'कौन बनेगा जेंडर चैंपियन' रही, इसमें सामाजिक कार्यकर्ता इरम आफरीन ने एक लड़के और लड़की के माध्यम से प्रतिस्पर्धा कराकर जेंडर पर विषय पर जीवंत उदाहरण पेश किया। लड़का-लड़की को बराबर में खड़ा कर पूछा, बेटा-बेटी के जन्म पर परिवार में खुशियां किसके प्रति अधिक तो बच्चों ने कहा, बेटे के जन्म पर। फिर पूछा, मां पहले खाना किसको परोसती तो बच्चे बोले बेटों को। पढ़ाई में नौनिहालों से सवाल हुआ, तो बच्चों ने कहा बेटियों की अपेक्षा बेटों को परिवार वरीयता देता है और कम उम्र में शादी-विवाह में बेटियों को अधिक महत्व मिलता है। अर्थात प्रदर्शित किया गया कि जन्म से बड़े होने तक बेटियों की तुलना में बेटों को परिवार अधिक महत्व देते हैं और जब बेटी ससुराल में बेटा जनती है और उसके मायके में भाई की पत्नी को बेटी होती है तो ससुराल में बेटी को तवज्जो और माइयके में भाई का महत्व कम होता है। इस तरह के प्रदर्शन पर इरम आफरीन ने नौनिहालों से पूछा, ये आपको कितना भाता है तो छात्रों ने भी इसे गलत बताया। इस 'कौन बनेगा जेंडर चैंपियन' क्लास में 29 बच्चे थे। इन बच्चों ने क्लास में 'स्त्री-पुरुष ईश्वर की अनुपम कृति, असमानता रखकर न करो वकृति।' और 'समानता विकास का मार्ग है।' जैसे स्लोगन का प्रदर्शन किया। इसी तरह सामाजिक कार्यकर्ता अंचता श्रीवास्तव ने 'सपनो की चटाई' के विषय पर बच्चों को सरल भाषा में बखूबी समझाया और खुद के सपने बुनकर लक्ष्य को तय करने की सीख दी। इस क्लास में सीतापुर व बहराइच के बच्चे शामिल किए गए थे।