ब्रह्माोत्सव में विधान पूर्वक अनुष्ठान
नैमिषारण्य (सीतापुर) : गोमती नदी के तट पर स्थित त्रिशक्ति धाम आश्रम में चल रहे ब्रह्मोत्सव कार्यक्रम
नैमिषारण्य (सीतापुर) : गोमती नदी के तट पर स्थित त्रिशक्ति धाम आश्रम में चल रहे ब्रह्मोत्सव कार्यक्रम के क्रम में शनिवार की देर शाम विविध अनुष्ठान विधान पूर्वक हुए। लक्ष्मी, गणपति, रुद्र, सुदर्शन एवं चंडी हवन कर आहुतियां प्रदान की गई। इसके बाद शालाबलि, 64 योगिनी शक्तियों का आह्वान किया गया। सप्तकोणीय आरती में दक्षिण भारत के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालुओं ने भाग लिया। ब्रह्मश्री गरिमेल्ल वेंकटरमण शास्त्री ने प्रवचन करते हुए कहा कि जो दूसरों के दुख को अपना दुख समझते हैं उनकी तरह मनुष्य को बनना चाहिए। सत्य ही शिव : शिवोअहम
नैमिषारण्य : शिव सत्य हैं, शिव शिव हैं, शिव सुंदर हैं। अर्थात जो सत्य है वही शिव है, जो शिव है वही स्वयं में भी शिव है। जो अत्यंत ललित और सुंदर है वह भी शिव है। शिव समान कोई दूसरा देव नहीं है। क्योंकि शिव स्वयं देवाधि देव हैं। उनसे ही संपूर्ण जगत का स्वरूप है। यह बात मनुसतरूपा तपस्थली प्रांगण में शिवपुराण कथा के दौरान स्वामी शिवोअहम ने कही। कथा का आयोजन नम: शिवाय मिशन ट्रस्ट शिवकोठी ओंकारेश्वर के द्वारा कराया जा रहा है।