संपादित-सीतापुर-चाक की रफ्तार से प्लास्टिक मुक्त अभियान को धार
द्दश्रश्रस्त्र ह्यह्लश्रह्म4द्दश्रश्रस्त्र ह्यह्लश्रह्म4द्दश्रश्रस्त्र ह्यह्लश्रह्म4द्दश्रश्रस्त्र ह्यह्लश्रह्म4
थानगांव (सीतापुर) : करवा चौथ और दीपावली नजदीक आते ही सरैंया छतौना गांव में रौनक दिखने लगी है। समूह में महिलाएं और पुरुष मिट्टी के लिए केवानी नदी की ओर निकल रहे हैं। मजरा छतौना के 35 घरों का चाक गति पकड़ गया है। इससे प्लास्टिक मुक्त अभियान को धार मिल रही है।
कुम्हारी कला से जुड़े परिवार इस बार काफी खुश हैं। आखिर पॉलीथिन समेत प्लास्टिक पर प्रतिबंध जो लग गया है। उन्हें उम्मीद है कि अब मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ेगी। आसपास क्षेत्रों से कुल्हड़, प्याली, करवा, दीये आदि मिट्टी के बर्तनों के ऑर्डर भी मिलने लगे हैं। कुम्हार कमलेश व झुर्री ने बताया कि सुराही, घड़े आदि विभिन्न तरह के मिट्टी के बर्तन बना रहे हैं। पिछली बार की अपेक्षा इस बार दोगुना बर्तन बना रहे हैं।
आधुनिकता का चोला मिले तो बने बात :
छतौना गांव में कुम्हारों की अच्छी आबादी है पर अधिकांश भूमिहीन हैं। मिट्टी के लिए 12 किमी दूर रुदाइन गांव के पास चौका नदी जाना पड़ता है। ऐसे में कुम्हारी कला को आधुनिकता का चोला मिले तो बात बने। यदि मिट्टी की व्यवस्था हो और इलेक्ट्रॉनिक चाक मुहैया हो जाए तो कुम्हारों के अच्छे दिन आ सकेंगे। मिट्टी लाने के लिए गांव से 12 किमी दूर नदी पर जाना पड़ता है। तालाब का पट्टा मिल जाए तो मिट्टी लेने में आसानी होगी और कारोबार अच्छा होगा।
- रामजस नदी के जल से मिट्टी के बर्तन को खूबसूरती मिलती है। इसके लिए गांव से दो किमी फरेंदहापुरवा के पास पानी लाना पड़ता है। - शोभालाल प्लास्टिक मुक्त अभियान से हमारा परंपरागत स्वरोजगार के प्रति भरोसा बढ़ा है। तालाबों से अतिक्रमण हट जाए तो मिट्टी मिलना आसान होगा।
- अशोक कुमार