घाघरा ने मचाई तबाही तो दबंगों ने छीन ली खुशहाली
घाघरा नदी तट पर बसे अंगरौरा गांव के कई सैकड़ा परिवार तबाह हो गए हैं। खेती-किसानी चौपट हो गई। घर कटकर
सीतापुर : घाघरा नदी तट पर बसे अंगरौरा गांव के कई सैकड़ा परिवार तबाह हो गए हैं। खेती-किसानी चौपट हो गई। घर कटकर नदी में बह गए। वर्षाकाल समाप्त हुआ तो नदी शांत होकर पुराने आकार में आ गई और रेत में तब्दील हो चुके खेत की जमीन खुल गई। पर किस किसान के खेत कहां पर थे, ये खोजना उनके लिए मुश्किल हो गया। पैमाइश के तहसील की दौड़ लगाई तो जिम्मेदारों ने भाव नहीं दिया। ऐसे में कुछ गांव वालों ने इनकी जमीने कब्जा कर खेती-किसानी शुरू कर दी है। पीड़ित परिवार अंगरौरा गांव के ही आसपास गांव और बांध पर जाकर बस गए हैं। तटबंध पर झोपड़ी डालकर रहने वाले राजू, देशराज, शंकर आदि ने बताया कि वे बाराबंकी जिले के बेलहरा या सूरतगंज में दिहाड़ी पर काम करने जाते हैं।
जिम्मेदारों की अनदेखी
खेती कब्जा मुक्त कराने को सामूहिक रूप से आठ नवंबर को ही एसडीएम से मिले थे। इससे पहले छह नवंबर को रामपुर मथुरा थानाध्यक्ष से मिश्री लाल ने गुहार लगाई। पांच नवंबर को संपूर्ण समाधान दिवस में फूलचंद ने अर्जी दी।
इनकी कब्जा है खेती
मुरलीधर की 120 बीघा, फूलचंद की 20 बीघा, राम लखन सिंह की 28 बीघा और रामनरेश, रामचंद्र, छोटेलाल, बेलदार की 30-30 बीघा और सुखराज सिंह, जगदेव सिंह, रामेश्वर सिंह, शिवदयाल, शिवकुमार, दर्शन की 25-25 बीघा, ननकू व मोल्हे की 22 बीघे, रामचंद्र, मेवालाल, मिश्रीलाल, दुखहरण, सुरेश, समयदीन, बिदेश्वरी, मुनेश्वर, प्रेम, विक्रम, मूरत, मन्नू, रामरूप, दुजयी की 5-5 बीघा जमीन दूसरों के कब्जे में है। रामेश्वर, बंसी व हरेश की 4-4 बीघे जमीन कब्जे में है। चित्र-05 एसआइटी-4-
120 खेती है पर, गांव के लोगों ने कब्जा कर रखा है। खेती पाने को तहसील कई बार गए पर, सुनवाई नहीं हुई है।
- मुरलीधर चित्र-05 एसआइटी-5-
हमारी 28 बीघे खेती पर लोगों ने कब्जा कर रखा है। वे लोग खेती करते हैं। कहां जाएं किससे हाथ जोड़े, तहसील बहुत दौड़े पर कहीं कुछ नहीं हुआ।
- रामलखन सिंह पैमाइश शुरू कराई है..
अंगरौरा, शुकुलनपुरवा, बगस्ती समेत आठ गांवों में पैमाइश के लिए टीम गठित की है। इसमें दो कानूनगो व पांच लेखपाल हैं। ये कर्मी अभी दो-तीन दिन सर्वे किए हैं। उम्मीद है कि 15 दिन में पैमाइश हो जाएगी।
- गिरीश कुमार झा, एसडीएम-महमूदाबाद