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कभी थे साथ, अब करेंगे दो-दो हाथ

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By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 10:40 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 10:40 PM (IST)
कभी थे साथ, अब करेंगे दो-दो हाथ
कभी थे साथ, अब करेंगे दो-दो हाथ

गोविद मिश्र, सीतापुर :

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सियासत के रंग भी बड़े अजब-गजब होते हैं। ये चटख रंग इस सियासी महासंग्राम का रोमांच और बढ़ाने वाले हैं। कभी एक-दूसरे के साथ नजर आने वाले नेता इस बार लोकसभा चुनाव में अपनों पर ही 'सियासी तीर' छोड़ते नजर आएंगे। देखने योग्य होगा कि सियासी समर में इन महारथियों का नजरिया एक-दूसरे के प्रति कैसे होगा। रामलाल राही और उनके बेटे सुरेश

इस फेहरिस्त में पहला नाम है पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री रामलाल राही का। वैसे तो उनकी राजनीति का केंद्र बिदु कांग्रेस ही रही है। वह कांग्रेस से चार बार सांसद रहे। यह सिलसिला विधानसभा चुनाव 2017 से पहले टूटा। राही ने भाजपा को अपना नया ठिकाना बना लिया। इसके बाद उनके बेटे सुरेश राही हरगांव विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और जीते भी। हालांकि, रामलाल राही भाजपा में कभी सहज नहीं दिखाई दिए। समय-समय पर उन्होंने कई मामलों में बेबाकी से विरोध भी जताया। अब राही एक बार फिर घर वापसी कर चुके हैं। पिछले दिनों उन्होंने फिर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली है। उनके बेटे सुरेश अभी भाजपा में ही हैं। नई परिस्थितियों में पिता और पुत्र इस चुनाव में अलग-अलग दलों के लिए ताल ठोकते नजर आएंगे। जासमीर-कैसर और रामहेत न दिखेंगे साथ

लहरपुर के पूर्व विधायक व वर्तमान चेयरमैन जासमीर अंसारी ने बसपा में लंबी पारी खेली। उनकी पत्नी कैसरजहां वर्ष 2009 में सीतापुर की सांसद भी रहीं। 2014 का चुनाव भी उन्होंने बसपा से लड़ा और उपविजेता रहीं। पिछले दिनों दोनों को बसपा से निष्कासित कर दिया गया। अब दंपती कांग्रेस का दामन थाम चुका है। एक और नेता रामहेत भारती भी अब बसपा में नहीं हैं। बसपा से निष्कासित होने के बाद उन्होंने नई पारी भाजपा से शुरू की है। ऐसे में यह तिकड़ी भी अब एक मंच पर नजर नहीं आएगी। जासमीर अंसारी और कैसर जहां कांग्रेस का झंडा बुलंद करेंगे तो रामहेत कमल खिलाने की कोशिश करेंगे। ऐसा हुआ तो अपनों से मुकाबला

राजेश वर्मा अभी भाजपा में हैं। इससे पहले वह भी बसपा में थे। इस चुनाव में कुछ नाम ऐसे भी हैं, जो पहले उनके अपने थे। इनमें से कुछ अन्य दलों में टिकट के भी दावेदार माने जा रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो संभव यह भी है कि कभी उनका साथी रहा शख्स ही किसे दूसरे दल से उनके मुकाबले में हो।


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