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चलेगा 'पढ़ना लिखना अभियान', डीएलएड प्रशिक्षु संभालेंगे कमान

21 संस्थानों में संचालित डीएलएड प्रशिक्षण 3300 प्रशिक्षु कर कर रहे डीएलएड की पढ़ाई

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 12:09 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 12:09 AM (IST)
चलेगा 'पढ़ना लिखना अभियान', डीएलएड प्रशिक्षु संभालेंगे कमान
चलेगा 'पढ़ना लिखना अभियान', डीएलएड प्रशिक्षु संभालेंगे कमान

सीतापुर: सभी जन पढ़े लिखे हों। कोई भी व्यक्ति निरक्षर न रह जाए। निरक्षरता के इस कलंक को धोने के लिए सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा कुछ न कुछ कार्यक्रमों का संचालन किया जाता है। अब सरकार ने सभी को पढ़ा लिखा बनाने के लिए एक नये कार्यक्रम की संकल्पना की है। लोगों को साक्षर बनाने के इस कार्यक्रम का नाम 'पढ़ना लिखना अभियान' दिया गया है। अभियान के तहत 15 वर्ष से ऊपर के ऐसे लोग जो किन्ही कारणों से शिक्षा से वंचित हो गए हैं उनको साक्षर बनाया जाएगा, जिससे वह भी अपने मूलभूत कार्यों के लिए किसी पर आश्रित न रहें।

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डीएलएड प्रशिक्षुओं के हाथों में रहेगी कमान

निरक्षरों को अक्षर ज्ञान कराने व पढ़ाने लिखाने का काम डीएलएड प्रशिक्षु करेंगे। यह प्रशिक्षु ऐसे लोगों को चिन्हित करेंगे। उनको समूह बनाकर पढ़ाएंगे। डीएलएड प्रशिक्षुओं के इस कार्य को क्रियाधारित प्रशिक्षण में जोड़ा जाएगा। जिसके उनको अंक भी दिए जाएंगे।

तैयार किया जाएगा निरक्षरों का संपूर्ण डाटा

जिले में जो भी निरक्षर हैं उनका संपूर्ण डाटा तैयार किया जाएगा। यह कार्य डीएलएड प्रशिक्षु ही करेंगे। यह प्रशिक्षु अपने आसपास के दो लोगों को चिन्हित करेंगे। उनके नाम, पता, आइडी, पढ़ाई न कर पाने का कारण आदि का वर्णन करेंगे। अभियान का बीच बीच में फीड बैक भी लिया जाएगा कि निरक्षरों पर कोई असर पड़ा भी कि नहीं।

भारत साक्षरता अभियान के स्थान पर शुरू हुआ अभियान

पूर्व में भारत साक्षरता अभियान चलता था। अभियान को वर्ष 2018 में बंद कर दिया गया था। अब उसके स्थान पर पढ़ना लिखना अभियान चलाया जा रहा है। पूर्व में इस अभियान को संचालित कराने के लिए साक्षरता प्रेरक नियुक्त थे उनको अभियान बंद होने पर हटा दिया गया था। अब नये सिरे से शुरू हुए इस कार्य को डीएलएड प्रशिक्षु संभालेंगे।

वर्जन

'अभियान को सफल बनाने के लिए सभी संबंधित शिक्षण संस्थाओं में निर्देश दे दिए गए हैं। प्रशिक्षुओं से अभियान की गाइड लाइन के मुताबिक काम करने के लिए कह दिया गया है। अभियान का असर भी दिखेगा क्योंकि डीएलएड प्रशिक्षुओं के पाठ्यक्रम का हिस्सा होने के नाते वह इसे पूरी मेहनत से करेंगे'।

मनोज अहिरवार, प्राचार्य

डायट


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