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चुनावी चौपाल: धौरहरा पर्यटन स्थल बने तो विकास को लगे पंख

दैनिक जागरण की चुनावी चौपाल में लोगों ने रखी बेबाकी से राय। दैनिक जागरण चौपाल में जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा पर जताई नाराजगी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 08:55 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 08:55 PM (IST)
चुनावी चौपाल: धौरहरा पर्यटन स्थल बने तो विकास को लगे पंख
चुनावी चौपाल: धौरहरा पर्यटन स्थल बने तो विकास को लगे पंख

सीतापुर, जेएनएन। धौरहरा संसदीय क्षेत्र की हरगांव विधान सभा क्षेत्र पौराणिक और धार्मिक नगरी है। इस नगर और इसके आसपास 108 तीर्थ स्थल यहां के पौराणिक महात्म्य का बखान करते हैं। राजा हरिशचंद्र द्वारा स्थापित इस नगर पर राजा विराट और राजा विक्रमादित्य ने भी शासन किया। यहां के टीले राजा मान्धाता के किले के भग्नावशेष बताए जाते हैं। यहां पर समी का वह वृक्ष आज भी विद्यमान है, जिस पर अज्ञातवास के समय पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र टांगे थे।

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पांडवाें द्वारा महज एक रात में भी खोदे गए पौराणिक सूर्यकुंड के तट पर गौरी-शंकर मंदिर पर हर साल लाखों लोग आते हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में शन्नों देवी मंदिर, कीचक ताल, बिड़ला मंदिर सहित नवीनगर के शिवालय सहित कुल 108 तीर्थ स्थल यहां के पौराणिक और धार्मिक महात्म्य का बखान करते हैं। इस सबके बाद भी इसे पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता नहीं मिल सकी। तीन दशकों से भी अधिक पुराने इस चुनावी मुद्दे को लेकर दैनिक जागरण ने हरगांव के ब्लॉक कार्यालय पर एक चुनावी चौपाल का आयोजन किया। जिसमें सभी वक्ताओं ने बेबाकी से अपनी राय रखी। पेश है राजीव गुप्ता/राजेंद्र शुक्ला की रिपोर्ट : 

हरगांव और उसके आसपास के क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की पहल समाजसेवी नरेश बरनवाल ने 70 के दशक में की थी। लेकिन उनके बाहर जाने के कारण इस आंदोलन की लौ धीमी हो गई थी। चौपाल का संचालन करते हुए नरेश बरनवाल ने कहा कि यहां पर पुरातत्व विभाग की टीम द्वारा निरीक्षण किया जा चुका है। लेकिन अब एक बार फिर इस आंदोलन को तेज करने की बात कही। सेवानिवृत्त शिक्षक लल्लन बाबू शुक्ला ने कहा कि अतीत में प्रयास हुए, लेकिन सफलता नहीं मिली। एक बार फिर इस दिशा में प्रयास की जरूरत है। 

अवध शुगर मिल के एचआर अधिकारी मनोज कुकरेती और चिकित्सक डॉ. राम नरेश मिश्रा का कहना है कि यह गौरव की बात हैं कि यहां पर 108 तीर्थ हैं। इसे तो काफी पहले ही पर्यटन स्थल बन जाना चाहिए था। गुरुनानक विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के प्रबंधक सरदार गुरदीप सिंह कहते हैं कि इसका मूल नाम हरिग्राम है। इतने बड़े तीर्थ स्थल के प्रचार की जरूरत है। हमारे नेता वोट मांगने तो आते हैं लेकिन इस नगरी के लिए कुछ नहीं किया। व्यापारी नेता ब्रजेंद्र रस्तोगी कहते हैं कि यदि यह नगरी पर्यटन स्थल बन जाए तो बाहरी लोगों की आमद बढ़ेगी, जिससे व्यापार तो बढ़ेगा ही साथ ही रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे।

युवा शांतनु मिश्रा का कहते हैं कि यह किसी राजनीतिक पार्टी का मुद्दा नहीं है। यहां के आमजन की आवाज है। सत्ता में रहने के बाद भी हमारे जन प्रतिनिधयों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया यह शर्म का विषय है। समाज सेवी प्रकाश तिवारी का कहना है कि वोटरों की मांग पर कभी भी नेताओं ने ध्यान नहीं दिया। वह चुनाव में वोट मांगते रहे हैं, यह दुर्भाग्य की बात है। व्यापार मंडल के अध्यख राकेश सेठ कहते हैं कि यहां के पिछड़ेपन के लिए हमारी सरकारें दोषी हैं।

चीनी मिल अधिकारी अरविंद मिश्रा कहते हैं कि इस पौराणिक स्थल के महत्व के प्रचार-प्रसार की जरूरत है। सेवानिवृत्त पुलिस उप निरीक्षक चंद्र शेखर मिश्रा का कहना है कि यह युगों पुराना नगर है, इसे पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के लिए हमारे जन प्रतिनिधियों ने इच्छा शक्ति नहीं दिखाई। इसके अलावा संविदा कर्मी साधना बाजपेयी, सेवानिवृत्त शिक्षक राम पाल मिश्र, चीनी मिल के अधिकारी देवेश सिंह और ग्राम प्रधान सुशील कुमार ने भी जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा पर नाराजगी जताते हुए हरगावं को पर्यटन के रूप में विकसित करने की मांग की।


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