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रक्त बीज कोरोना बनकर इस धरती पर आया है..

सीतापुर संस्कार भारती के तत्वावधान में कोरोना जागरूकता को लेकर ऑनलाइन राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कवियों ने कोराना को जमकर कोसा। म्

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 09:35 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2020 09:35 PM (IST)
रक्त बीज कोरोना बनकर इस धरती पर आया है..

सीतापुर : संस्कार भारती के तत्वावधान में कोरोना जागरूकता को लेकर ऑनलाइन राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कौशलेंद्र अवस्थी ने वाणी वंदना से किया। इस दौरान कमलेश मौर्य मृदु ने कहा कि चांदी तो नहीं है, कहीं सोना तो नहीं है। जादू तो नहीं है, कोई टोना तो नहीं है। सब देखते हर एक को शक की निगाह से, मृदु सामने वाले को कोरोना तो नहीं है। अमित चौहान ने कहा कि लालच के इस चकाचौंध में आडंबर से रिश्ता जोड़ लिया, रोजगार के चक्कर में वह गांव का रिश्ता तोड़ लिया। अंबरीष श्रीवास्तव ने कहा कि महाशक्तियां पीड़ित जिससे विश्व डरा थर्राया है, रक्त बीज कोरोना बनकर इस धरती पर आया है। आनंद खत्री ने कहा कि हरियाली मन में उमंग नव भर रही, शांत भाव युक्त आज करा रही। छाया त्यागी ने कहा कि धरती जागी अंबर जागा, जागा जहन हमारा है। कलियां महकी फूल भी हंसते, चमन झूमता सारा है। इस दौरान दिनेश मिश्र, विनोदनी रस्तोगी, कल्पना भदौरिया, लक्ष्मी वर्मा, दीप्ति, आराध्या, आकाश आजाद आदि ने काव्य पाठ किया।

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