छठ पूजा आज से, जोरों पर तैयारियां
सीतापुर : प्रकृति पूजा और आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाय-खाए से रविवार से शुरू हो रही ह
सीतापुर : प्रकृति पूजा और आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाय-खाए से रविवार से शुरू हो रही है, जो अगले चार दिनों तक चलेगी। ये पूजा शहर के उप्र पुलिस फाय¨रग रेंज व गोल्फ कोर्स ग्राउंड और 27 बटालियन पीएसी के राधा-कृष्ण मंदिर के पास मौजूद तालाब पर मनाई जाती है। इसमें पीएसी, एटीसी, पीटीसी, मोटर ट्रे¨नग सेंटर आदि में तैनात बिहार व पूर्वांचल के जवानों के परिवार बड़ी धूमधाम से ये पूजन करते हैं। फाय¨रग बट गोल्फ कोर्स के प्रभारी नायक गया प्रसाद निषाद बताते हैं कि पूजा प्रारंभ होने से पहले शनिवार को तालाब की सफाई हुई है। श्रद्धालुओं ने तालाब किनारे वेदियां तैयार कर ली हैं। इन वेदियों पर रविवार सुबह महिला व पुरुष श्रद्धालु पूजन करेंगे। साथ ही बाजार में पूजन सामग्री की खरीदारी होगी। श्रद्धालुओं के अनुसार छठ महापर्व खासकर शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व है। सोमवार को लोहंड़ा-खरना का कार्यक्रम रहेगा और मंगलवार की शाम सूर्य भगवान को पहला सायंकालीन अर्द्ध और बुधवार 14 नवंबर की सुबह प्रात:कालीन अर्घ्य दिया जाएगा।
नहाय-खाए पर सिद्धि योग का संयोग
रविवार को नहाय-खाए पर सिद्धि योग का संयोग है। वहीं मंगलवार 13 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्य पर अमृत योग व सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग है, जबकि प्रात:कालीन अर्घ्य पर बुधवार की सुबह छत्र योग का संयोग बन रहा है। सूर्य को अर्घ्य से कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं।
छठ पर 36 घंटे का निर्जला व्रत
इस व्रत में 36 घंटे तक व्रती निर्जला रहते हैं। इस जिले में भी श्रद्धालु छठ पर्व पूरी आस्था व भक्ति के साथ मनाते हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार छठ महापर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान में ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बन रहा है।
श्रद्धालुओं के लिए जरूरी
पीतल व तांबे के पात्रों से अर्घ्य प्रदान करना चाहिए।
चांदी, स्टील, शीशा व प्लास्टिक के पात्रों से अर्घ्य नहीं देना चाहिए।
पीतल के पात्र से दूध का अर्घ्य देना काफी शुभकर होता है।
तांबे के पात्र में दूध से अर्घ्य नहीं देना चाहिए।