खेत से किचन तक 'बजट गणित'
सीतापुर : केंद्र सरकार के आम बजट पर गुरुवार को सबकी नजर रही। पूरे दिन खेत से लेकर कि
सीतापुर : केंद्र सरकार के आम बजट पर गुरुवार को सबकी नजर रही। पूरे दिन खेत से लेकर किचन और सरकारी-गैर सरकारी दफ्तरों में चर्चा होती रही। कोई रेडियो पर सुन रहा था तो कोई टीवी पर अपनी उम्मीद को तलाश रहा था। कुल मिलाकर केंद्रीय आम बजट को लेकर पूरे दिन गांव से शहर तक खलबली मची रही।
वर्तमान सरकार के इस अंतिम बजट में सरकारी वर्ग इनकम टैक्स को लेकर उम्मीदें संजोए था, तो वहीं जिले में जीएसटी से पीड़ित दरी उद्योग के कारोबारी राहत की उम्मीद में थे। किसान उर्वरक, पेस्टीसाइड व कृषि यंत्रों की कीमतों में राहत की उम्मीद लगाए थे।
खेत पर चर्चा
आम बजट को सुनने के लिए गांवों में किसानों में भी खासा उत्साह देखने को मिला। खेत का काम पिछड़े न, इसलिए कई जगह किसान अपने खेत पर ही रेडियो पर आम बजट को सुनते दिखे। बजट जानने के बाद कई किसान में मायूसी देखने को मिली। महमूदाबाद के कंडी चांदपुर के प्रधान राजेंद्र ¨सह ने कहा किसानों की आय दोगुनी करने का भरोसा कई साल से दे रही है। उपज का सही मूल्य सरकार दिला दे, तो किसानों का भला हो जाएगा। पचदेवरा शैलेंद्र वर्मा ने कहा फसल का सही मूल्य न मिलना ¨चता का विषय है। सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य उपज के अनुसार घोषित हो, तो अन्नदाता के दिन बहुरें। पिसावां के बद्दापुर के किसान गो¨वद प्रताप ¨सह ने कहा किसानों को केंद्र में रखकर बातें होती हैं, बजट में वे सभी बातें बेअसर हैं।
किचन में चर्चा
आम बजट को टीवी पर सुनने व देखने के लिए महिलाओं ने गुरुवार को सुबह से ही तैयारी की थी। सुबह के घरेलू कार्यो को जल्दी निपटाकर वह टीवी के पास बैठ गई थीं। महिलाओं को उम्मीद थी कि घरेलू गैस सिलिंडर पर कुछ दाम जरूर घटेंगे और अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भी गिरावट आएगी। शहर के आर्यनगर की पायल अग्रवाल, मोनिका और अर्चना आदि भी बजट पर चर्चा करती नजर आई। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने बजट में इस बार टीवी व मोबाइल पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी, जिससे अब ये वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। हालांकि स्वास्थ्य में सुधार और बेरोजगारों के लिए किए गए प्रयासों को सराहा।
दुकानों पर सुना बजट
शहर व कस्बों के इलेक्ट्रॉनिक सामान के दुकानों पर पूरे दिन टीवी पर बजट ही गूंजता रहा। व्यापारी से लेकर राहगीर तक दुकानों पर बजट के लाइव प्रसारण को देखते रहे, वहीं सरकारी-गैर सरकारी कार्यालयों में भी बजट पर चर्चा होती रही। कुछ अधिकारियों ने तो गुरुवार को शासकीय कार्य किनारे कर अपने कार्यालय में लगी टीवी या एलईडी पर बजट को निहारते रहे।