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13 साल आयु में अंशु ने रखा था जरायम की दुनिया में कदम

सीतापुर शुक्रवार को चित्रकूट जिला जेल में दो पक्षों में हुए गैंगवार में पुलिस की गोली से ए

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 08:38 PM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 08:38 PM (IST)
13 साल आयु में अंशु ने रखा था जरायम की दुनिया में कदम
13 साल आयु में अंशु ने रखा था जरायम की दुनिया में कदम

सीतापुर : शुक्रवार को चित्रकूट जिला जेल में दो पक्षों में हुए गैंगवार में पुलिस की गोली से एनकाउंटर में मारे गए अंशु दीक्षित की लंबी कहानी है। उसने 13 साल की उम्र में ही जरायम की दुनिया में कदम रख दिया था। लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री विनोद त्रिपाठी की हत्या में अंशु का नाम सामने आया था। इसके विरुद्ध पहला मुकदमा वर्ष 2007 में लखनऊ के गोमती नगर थाने में दर्ज हुआ था। इसके बाद अंशु की गिरफ्तारी के लिए लखनऊ और सीतापुर पुलिस लगातार दबिश दे रही थी। इसी बीच अंशु ने लखनऊ कोर्ट में अपने को सरेंडर कर दिया था। इसके पास से लगातार 14 साल से वह जेल में ही था। अपराध के कारण उसके मुकदमे में धाराएं बढ़ती रहीं और निरुद्ध अंशु दीक्षित का विभिन्न जेलों में स्थानांतरण होता रहा।

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सीतापुर पुलिस अंशु दीक्षित के बारे में शुक्रवार दोपहर तक संपर्कियों से पड़ताल करने की कोशिश करती रही। शहर कोतवाली पुलिस को आंख अस्पताल में अंशु दीक्षित की चाची किरन दीक्षित से मुलाकात हुई। पुलिस सूत्रों के मुताबिक अंशु दीक्षित की चाची किरन ने परिवार की कई अहम बातें बताईं। किरन ने पुलिस को बताया है कि, अंशु दीक्षित के पिता जगदीश दीक्षित दो भाई थे और उनकी एक बहन निर्मला थीं। जगदीश अपने छोटे भाई अमरीश दीक्षित के बड़े थे। जगदीश, अमरीश, बहन निर्मला ये सभी लोग सीतापुर आंख अस्पताल में स्टाफ नर्स अपनी मां लीला दीक्षित के सरकारी आवास में रहते थे। स्टाफ नर्स लीला दीक्षित की मौत के बाद मृतक आश्रित में अमरीश दीक्षित को नौकरी मिली थी। कुछ समय बाद अमरीश दीक्षित की भी मौत हो गई और उनकी जगह अब उनकी पत्नी किरन दीक्षित मृतक आश्रित में आंख अस्पताल में काम कर रही हैं। किरन दीक्षित ने पुलिस को बताया, वर्ष 2007 में एक जनप्रतिनिधि के बेटों और कुछ अन्य लोगों के बीच गोली चली थी। इसके बाद से अंशु दीक्षित लापता हो गया था। उस बीच में करीब 12-13 साल का था। इसी दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता की की हत्या में उसका नाम सामने आया था। मानपुर के ओलारा बन्नी गांव का मूल निवासी था अंशु दीक्षित

किरन दीक्षित से पुलिस को पता चला है कि वर्ष 2007 की घटना के बाद से अंशु दीक्षित जरायम की दुनिया में निकल गया था। उसके मां-बाप, बहन, भाई सब कहां चले गए, किसी को नहीं पता है। अंशु की चाची ने पुलिस को यह भी बताया कि उनका परिवार मूलत: सीतापुर के ही मानपुर थाना क्षेत्र के ओलरा बन्नी गांव का रहने वाला है। अब गांव में उन लोगों का कुछ भी शेष नहीं बचा है। 2007 के बाद से जेल से बाहर नहीं आया था अंशु

पुलिस के मुताबिक चित्रकूट पुलिस एनकाउंटर में मारा गया अंशु दीक्षित वर्ष 2007 से जेल से बाहर नहीं आया था। वह वर्ष 2013-14 में पेशी से लौटने के दौरान पुलिस कस्टडी से निकल भागा था तो पुलिस ने सीतापुर जीआरपी में उसके विरुद्ध मुकदमा भी लिखाया था। हालांकि उसके बाद फरार अंशु दीक्षित पुलिस को मिल भी गया था।


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