20 मार्च को कैप्टन मनोज पांडेय के गांव आएंगे थल सेनाध्यक्ष
शुक्रवार को रूढ़ा में सेना अधिकारियों ने किया हेलीकॉप्टर उतारने का ट्रायल
सीतापुर : कारगिल में शहीद कैप्टन मनोज पांडेय की प्रतिमा व पार्क का लोकार्पण 20 मार्च को थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे करेंगे। थल सेनाध्यक्ष के कार्यक्रम के मद्देनजर शुक्रवार को सेना के अधिकारियों ने रूढ़ा गांव में हेलीकॉप्टर उतारने का ट्रायल भी किया। यहां पर हेलीपैड भी बनाया गया है। सेना अधिकारियों ने अभी कोई जानकारी साझा नहीं की है लेकिन, खबर है कि स्मृति स्थल का दौरा कर व्यवस्थाएं परखी हैं। सैन्य अधिकारियों ने परमवीर शहीद मनोज पांडेय के चाचा कौशल किशोर पांडेय से उनका हाल भी जाना। इस अवसर पर शहीद मनोज पांडेय के भाई मनमोहन पांडेय, मोहित भी मौजूद रहे।
कमलापुर थानाध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह ने बताया कि शुक्रवार सुबह हेलीकॉप्टर रूढ़ा गांव में लैंड किया। हेलीकॉप्टर से आए सेना के अधिकारियों ने पूरे गांव में घूमकर तमाम बारीकियों का अध्ययन किया। सैन्य अधिकारियों ने कैप्टन मनोज पांडेय की प्रतिमा स्थल पर पहुंचकर व्यवस्थाएं देखीं। 11 बजे के बाद हेलीकॉप्टर से संबंधित सभी अधिकारी लखनऊ रवाना हो गए।
शहीद की प्रतिमा की गई स्थापित
बताया जा रहा है कि कारगिल में शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के गांव में उनकी प्रतिमा सेना की गोरखा राइफल्स रेजीमेंट ने स्थापित की है।
एसपी ने कहा, सेना के कार्यक्रम की कोई अधिकृत जानकारी नहीं
पुलिस अधीक्षक आरपी सिंह ने बताया कि रूढ़ा में सेना के अधिकारियों के आने की जानकारी मिली है। यह अधिकारी किस मकसद से आए हैं, इस संबंध में स्पष्ट कहा जाना मुश्किल है। साहित्य भूषण सम्मान से नवाजे जाएंगे कमलेश मृदु
सीतापुर: हिदी के आशु कवि व लेखक कमलेश मौर्य मृदु को साहित्य भूषण सम्मान से नवाजा जाएगा। उनको बतौर सम्मान दो लाख रुपये की राशि प्रदान की जाएगी। यह सम्मान उत्तर प्रदेश हिदी संस्थान लखनऊ की ओर से दिया जाएगा। सम्मान का निर्णय 26 फरवरी को पुरस्कार के लिए गठित समिति की ओर से कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सदानंद प्रसाद गुप्त की उपस्थिति में लिया गया है। निदेशक श्रीकांत मिश्र ने सम्मानित किए जाने वाले साहित्यकारों की सूची जारी की, जिसमें सीतापुर के बिसवां क्षेत्र के रामाभारी गांव निवासी कवि लेखक कमलेश मौर्य मृदु का भी नाम है। वह वर्तमान में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ के सदस्य भी हैं। कमलेश मृदु ने बताया वह छात्र जीवन से ही कविता लेखन कर रहे हैं। अब तक करीब डेढ़ हजार से अधिक कविताओं की रचना कर चुके हैं व ढाई हजार से अधिक मंचों पर काव्यपाठ किया है। दो पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं जिनमें मंदिर वहीं बनाएंगे, सुने अन सुने गीत हैं। अप्रकाशित पुस्तकें गीत दर्पण, मुक्तक मंजूषा, शब्द शब्द इतिहास है। इसके अलावा दो सौ से अधिक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने बताया वह पत्रकारिता क्षेत्र से भी जुड़े रहे हैं कई प्रतिष्ठित समाचारपत्रों व पत्रिकाओं में लेखन व संपादन कार्य भी कर चुके हैं। वर्ष 1986 में अंतराष्ट्रीय कवि सम्मेलन काठमांडू नेपाल में हुआ था जिसमें उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व भी किया।