अब आरपार की जंग के लिए बजा बिगुल
सीतापुर: शहर के सहगल धर्मशाला प्रांगण में गुरुवार को प्रदेश भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों की महापंचायत
सीतापुर: शहर के सहगल धर्मशाला प्रांगण में गुरुवार को प्रदेश भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों की महापंचायत से चर्चित पुलिस-अधिवक्ता विवाद अभी सुलझता नहीं दिख रहा है। महापंचायत में जुटे अधिवक्ताओं ने आरपार की लड़ाई का एलान किया है। कार्यक्रम में तय किया गया है कि यदि एक सप्ताह के भीतर एसपी प्रभाकर चौधरी का तबादला नहीं हुआ तो 23 नवंबर को प्रदेशभर के अधिवक्ता सीतापुर पहुंचकर एसपी कार्यालय का घेराव करेंगे। साथ ही जेल भरो आंदोलन भी होगा। इसके अलावा जिला जज व डीएम के तबादले की भी मांग रखी गई है। तबादला न होने तक जिला जज के न्यायालय का कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। महापंचायत में यह भी तय किया गया है कि प्रदेशभर के अधिवक्ता 23 नवंबर तक न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। इन प्रस्तावों को प्रत्यावेदन मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा। जिला जज स्थानांतरण से संबंधित प्रस्ताव का प्रत्यावेदन उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भेजा जाएगा। महापंचायत में यह प्रस्ताव भी पास हुआ कि इस पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच हो। जेल में बंद दोनों अधिवक्ता के स्वास्थ्य व उनसे जुड़ी समस्याओं को मुख्यमंत्री, जिला जज व डीएम को अवगत कराया जाए। साथ ही एक सप्ताह में कोई हल न निकलने पर लखनऊ बार एसोसिएशन द्वारा लखनऊ में अगली महापंचायत करने के एलान व तैयारियों से भी मुख्यमंत्री को अवगत कराया जाए। मांगें पूरी न होने पर आने वाले चुनाव में भाजपा के खिलाफ मुहिम चलाने का भी ऐलान किया गया है। बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन परेस मिश्रा ने संबोधन में कहा कि लोकसभा, राज्य सभा व विधानसभा सहित तीनों सदनों में रखा जाएगा। प्रदेश सरकार इस घटना की पूरी तरह जिम्मेदार है। बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार शुक्ला, लखनऊ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील ¨सह सिकरवार, सचिव सुरेश पांडेय, उन्नाव के अध्यक्ष सतीश कुमार शुक्ला, पूर्व अध्यक्ष सतीश कुमार द्विवेदी, गोंडा के अजय शंकर श्रीवास्तव, शाहजहांपुर के अध्यक्ष मुरारी लाल राजपूत व दिनेश मिश्रा, जौनपुर के पूर्व अध्यक्ष आरपी ¨सह, आजमगढ़ से सुरेंद्र तिवारी, हरदोई के आदर्श दीपक मिश्र, लखीमपुर के नरेश ¨सह भदौरिया, वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद माधव अवस्थी व रामचंद्र तिवारी ने संबोधित किया। इनसेटमहापंचायत में खूब चले शब्दबाणउन्नाव से आए एक अधिवक्ता ने तो इस महापंचायत पर शंका तक जाहिर कर कहा कि वह समाप्ति की ओर है। कार्यक्रम को रणकुंभ बनाने की बात कही तो तालियां गड़गड़ा उठीं। वह बोले यह आंदोलन नहीं, रणकुंभ बनना चाहिए।