परिक्रमा में शामिल होकर अभिभूत हो रहे श्रद्धालु
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नैमिषारण्य (सीतापुर) : 84 कोसीय परिक्रमा में शामिल होने के लिए पहुंचे श्रद्धालु धर्म और आध्यात्मिक वातावरण को देखकर अभिभूत हो रहे हैं। कोई पहली बार परिक्रमा में शामिल होने के लिए आया है। कोई लगातार वर्षों से परिक्रमा कर रहा है। हर कोई इसके महत्व को बताते नहीं थकता। परिक्रमा का महत्व श्रद्धालुओं को यहां तक खींच लाया। सुबह नैमिषारण्य से रामादल जयकारे लगाते हुए पहले पड़ाव कोरौना के लिए रवाना हुआ तो हर कोई आत्मविश्वास से भरा था। परिक्रमा में हर आयु वर्ग के लोग शामिल हैं।
84 कोसीय परिक्रमा मेले में शामिल होना सौभाग्य की बात है। यहां का धार्मिक वातावरण उनको इतनी दूर से यहां खींच लाता है।
केशवानंद, ग्वालियर इस परिक्रमा का बहुत महत्व सुना है। परिक्रमा में उमड़े लोगों को देखकर इसका अहसास होता है। वाकई यह अछ्वुत परिक्रमा है।
गोविद दास, जबलपुर नैमिषारण्य की तपोभूमि पर 84 कोसीय परिक्रमा मोक्ष प्रदान करने वाली है। मैं 11 वर्ष से लगातार इस परिक्रमा में शामिल हो रहा हूं।
अवध बिहारी, उत्तराखंड परिक्रमा में शामिल होकर एक अलग ही धार्मिक आनंद की अनूभूति हो रही है। यह पवित्र यात्रा मानव जीवन के लिए कल्याणप्रद है।
रामभूषण दास, मथुरा अयोध्या, मथुरा की तरह नैमिषारण्य की परिक्रमा भी अपने आप में अछ्वुत है। यहां आकर और विविध रंग देखकर वह आनंदित हैं।
मौनी महाराज, अयोध्या यह मेरा सौभाग्य है कि इस यात्रा में शामिल होने का अवसर मिला। बहुत सुना था परिक्रमा को लेकर, पहली बार यहां आया हूं।
नरेश बाबा, भिड इस पवित्र यात्रा को देखकर मन प्रसन्न हो गया। बहुत ही महत्वपूर्ण है इसमें शामिल होना, उनका जीवन धन्य हो गया जो यहां आए।
राघवेंद्राचार्य महाराज, छत्तीसगढ़ परिक्रमा मेले में रामादल का हिस्सा बनना सौभाग्य का विषय है। परिक्रमा का धार्मिक वातावरण, भजन, कीर्तन आनंद दायक है।
राम आसरे दास, कानपुर 84 कोसीय परिक्रमा में शामिल होना अछ्वुत है, मैंने बहुत यात्राएं की लेकिन ऐसा आनंद किसी यात्रा में नहीं मिला।
भगवान दास, लखीमपुर इस परिक्रमा में शामिल होने तीसरी बार आई हूं। इस परिक्रमा का बहुत महत्व है। साध, संतों के साथ परिक्रमा आनंद दायक है।
जमुना पचौरी, भोपाल