Move to Jagran APP

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ: सीतापुर की 75000 बालिकाएं नहीं जा रही स्कूल

बेटियों को तालीम दिलाने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक संजीदा हैं, बावजूद इसके जिले की 75 हजार 175 बालिकाएं स्कूल नहीं जा रही हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 22 Dec 2017 05:10 PM (IST)Updated: Fri, 22 Dec 2017 06:10 PM (IST)
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ: सीतापुर की 75000 बालिकाएं नहीं जा रही स्कूल

सीतापुर (शिवप्रकाश मिश्र)। बेटियों को तालीम दिलाने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक संजीदा हैं, बावजूद इसके जिले की 75 हजार 175 बालिकाएं स्कूल नहीं जा रही हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सर्वे में शिक्षा की मुख्य धारा से दूर इन बालिकाओं की उम्र 11 से 14 वर्ष है। केंद्र सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना समेत अन्य योजनाएं भी इन तक पहुंच सकी हैं। अफसर इन बालिकाओं की शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं तो आर्थिक हालात के साथ इनके परिजन भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। गंवई इलाके से लेकर शहर में भी बालिकाएं दुकान चलाकर परिवार की जीविका चला रही हैं तो कई बालिकाओं के सुनहरे दिन खेतों में गुजर रहे हैं।

loksabha election banner

बिटिया है इसलिए नहीं पढ़ाया

शहर के कांशीराम कालोनी निवासी खिलाड़ी की 14 साल की बेटी बीनू ने विद्यालय का मुंह नहीं देखा है। बीनू की मां जावित्री शहर में फुटपाथ पर मूंगफली व चने बेचती है तो खिलाड़ी सब्जी का ठेला लगाते हैं। तीन बच्चों में सबसे बड़ी बीनू है। सड़क से गुजरने वाले ग्राहकों को साहब संबोधन से बुलाकर मूंगफली खरीदने की गुजारिश करती है। दुकान पर मां का हाथ बटाने के अलावा घर का खाना बनाने में भी सहयोग करती है। बीनू से छोटा भाई प्राइवेट स्कूल में कक्षा चार में पढ़ता है लेकिन उसकी मां कहती है कि बेटी थी इसलिए नहीं पढ़ाया।

कक्षा चार के बाद छोड़ दी पढ़ाई

शहर के ही कांशीराम कालोनी निवासी गुड्डू शाह भी फुटपाथ पर मूंगफली बेचते हैं। पांच बच्चों में सबसे छोटी बेटी पिंकी को कक्षा चार तक पढ़ाने के बाद गुड्डू ने उसकी पढ़ाई छुड़वा दी। आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए गुड्डू बताते हैं कि पिंकी दुकान में हाथ बंटाती है। सरकारी मदद मिलने पर गुड्डू पिंकी की पढ़ाई फिर से कराने के लिए बुझे मन से हामी भरते हैं।

आर्थिक हालात से छूटी पढ़ाई

कसमंडा ब्लॉक के सरायं निवासी राजकुमार की पुत्री रागिनी ने आर्थिक हालात के चलते आठवीं पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। राजकुमार खेती-किसानी से परिवार की जीविका का संचालन कर रहे हैं। दो पुत्रियों में बड़ी बेटी सुधा की बीमारी के चलते इलाज के अभाव में खो चुके पिता की मजबूरी में रागिनी को भी आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। दो वर्ष पूर्व पढाई छोड़ने के बाद रागिनी पिता के साथ खेती में बराबर हाथ बंटा रही है। हालांकि हालात बदले तो वह अब भी पढ़ने के लिए तैयार है।

मजबूरी में छोड़ी पढ़ाई

कसमंडा ब्लॉक के सरायं निवासी तेजपाल की पुत्री रोहिणी ने चार वर्ष पूर्व गुरुकुल को त्याग दिया था। पारिवारिक समस्याएं, गरीबी व स्कूल दूर होने के कारण रोहिणी को स्कूल छोड़ना पड़ा था। खेती करके परिवार चलाने वाले तेजपाल ने विपरीत हालात में रोहिणी को घर के बाहर ही चार सौ रुपये में दुकान खुलवा दी थी। पूरा दिन दुकान पर बैठकर रोहिणी चंद रुपये कमाकर पिता का सहारा बनी है। रोहिणी फिर से स्कूल जाने के नाम पर बोल पड़ती है अगर हालात ही ठीक होते तो पढ़ाई क्यों छूटती।

75175 बालिकाएं नहीं जा रहीं स्कूल

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने 11 से 14 वर्ष की स्कूल न जाने वाली बालिकाओं की अप्रैल माह की सूची जारी की थी। इनमें रामपुर मथुरा की 9268, पहला की 784, सकरन की 782, रेउसा की 305, बिसवां की 3400, सिधौली की 3256, खैराबाद की 2449, महोली की 1060, मछरेहटा की 2697 तथा पिसावां ब्लॉक की 298 बालिकाएं स्कूल नहीं जा रही हैं। इसी तरह महमूदाबाद में 2495, परसेंंडी में 5670, लहरपुर में 5635, बेहटा में 7025, कसमंडा में 8353, मिश्रिख में 3201, हरगांव में 7931, गोदलामऊ में 3397 तथा ऐलिया ब्लॉक में 6562 और शहर में 607 बालिकाएं स्कूल की दहलीज से दूर हैं।

हाउस होल्ड सर्वे पर उठे सवाल

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वे से उलट बेसिक शिक्षा विभाग का हाउस होल्ड सर्वे कुछ और कहानी बयां कर रहा है। इसमें 11 वर्ष की 57, 12 वर्ष की 103 तथा 13 वर्ष व इससे अधिक उम्र की 114 बालिकाएं ही जिले में ऐसी हैं जो विद्यालय नहीं जा रही हैं। विभाग का दावा है कि कुल 274 में से अधिकांश बालिकाओं को अभियान चलाकर विद्यालयों में नामांकन करा दिया गया है। दो सरकारी विभागों के आंकड़ों में भारी अंतर होने से साबित हो रहा है कि एक विभाग के आंकड़े तो सत्य से परे हैं। ऐसे में सरकारी आंकड़ों पर सवाल उठना भी लाजिमी है।

274 बालिकाएं चिह्नित 

बीएसए अजय कुमार कहा कि हाउस होल्ड सर्वे के दौरान 11 से 13 वर्ष व इससे अधिक आयु की 274 बालिकाएं चिह्नित हुई थीं। ये स्कूल नहीं जाती थीं। सर्वे हुए काफी वक्त बीत चुका है। हो सकता है कि पंजीकरण के बाद भी बालिकाएं स्कूल न जा रही हों, इसकी जांच कराई जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.