सेवानिवृत्ति के बाद भी दे रहे सेवा
सकरन,(सीतापुर): शिक्षा को धर्म समझ कर बच्चों को सांस्कारिक शिक्षा परोसने वाले रामनाथ वर्मा सेवानिवृत
सकरन,(सीतापुर): शिक्षा को धर्म समझ कर बच्चों को सांस्कारिक शिक्षा परोसने वाले रामनाथ वर्मा सेवानिवृत्त होने के बाद भी गांव की गलियों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। हर रोज गांव के प्राथमिक विद्यालय में छात्रों को पढ़ाने के साथ ही विद्यालय परिसर में खुद ही झाडू लगाकर सफाई करते हैं। शिक्षा व संस्कार के प्रति पूर्णत: समर्पित इस गुरु की मंशा गांव के हर बच्चे को अपने बेटे की तरह शिक्षित करने की है।
सकरन विकासखंड क्षेत्र के कुतुबापुर निवासी रामनाथ साठ के दशक में बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े थे। विभिन्न प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों में शिक्षण कार्य करने के साथ-साथ ब्लॉक संसाधन केंद्रों पर भी सह समन्वयक पद पर भी रहे। अपने सेवाकाल में वह एक आदर्श शिक्षक की छवि के रूप में ख्यातिलब्ध रहे। प्रतिदिन विद्यालय समय से जाना बच्चों को पढ़ाना ही उनकी दिनचर्या में शामिल था। उनकी कार्य के प्रति निष्ठा को देखते हुए वर्ष 2005-06 में विकासखंड का सर्वश्रेष्ठ अध्यापक का भी सम्मान भी दिया गया। जब वह अपने कार्य में पूरी निष्ठा के साथ लगे थे उस दौरान उनके ऊपर कुदरत का ऐसा व्रजपात हुआ जिससे कोई भी व्यक्ति टूट सकता है। उनका साथ उनकी जीवन संगिनी ने हमेशा के लिए छोड़ दिया। पत्नी की मौत से वह बुरी तरह टूट गए। इस दु:खद घटना ने उन्हें तोड़कर रख दिया। इसके बावजूद भी उन्होंने अपने आपको संभाला और पुन: कार्य में लग गए। वर्ष 2008 में अवकाश प्राप्त किया। अवकाश प्राप्त करने के बाद अपने एकाकीपन को दूर करने के लिए गांव व क्षेत्र के प्रत्येक बच्चे को अपने बेटे की तरह मानना शूरू कर दिया। वह रोज सुबह अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय पहुंच जाते हैं। यहां वह बच्चों निश्शुल्क शिक्षा देते हैं। कई बार तो विद्यालय की साफ-सफाई करने में लग जाते हैं। रामनाथ वर्मा का कहना है, मैं जब इन बच्चों के मध्य आता हूं तो मुझे लगता है मैं अकेला नहीं हूं बल्कि मैं अपने परिवार के बीच हूं।