अखंड सुहाग के लिए महिलाएं रखेंगी निर्जला व्रत
निर्णय सिधु आदि सभी धर्मशास्त्रों के अनुसार हरतालिका (तीज) व्रत दो सितंबर को रखा जाएगा। इस साल हस्त नक्षत्र शुभ योग के साथ यह पर्व है। सोमवार भगवान भोलेनाथ का दिन होने के कारण यह पर्व काफी फलदायक सिद्ध होगा।
सिद्धार्थनगर : निर्णय सिधु आदि सभी धर्मशास्त्रों के अनुसार हरतालिका (तीज) व्रत दो सितंबर को रखा जाएगा। इस साल हस्त नक्षत्र शुभ योग के साथ यह पर्व है। सोमवार भगवान भोलेनाथ का दिन होने के कारण यह पर्व काफी फलदायक सिद्ध होगा।
आचार्य योगेश पांडेय ज्योतिषाचार्य के अनुसार यह व्रत हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को किया जाता है। यह व्रत मुख्यत: विवाहिता महिलाएं करती हैं और भगवान शिव से अपने पति के लिए लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। कन्याएं भी अच्छा पति पाने के लिए यह व्रत करती हैं। दो सितंबर प्रात: नौ बजे तक तृतीया के बाद चर्तुथी एवं दिन के 1:35 तक हस्त नक्षत्र के शुभ योग में हरतालिका (तीज) व्रत किया जाना शास्त्रोचित है। अगले दिन सूर्योदय के पश्चात सात बजे से पहले पारण कर व्रत के महान पुण्यफल की भागी बनें। आचार्य इंद्रासन मिश्र कहते हैं यह पर्व भगवान शिवजी को प्रसन्न करने का व्रत है। पूर्व काल में भगवती पार्वती जी ने इस व्रत को अपनाकर भगवान शिवजी को पति के रूप में प्राप्त किया था। इसके बाद से हरतालिका (तीज) व्रत का प्रचार-प्रसार हुआ। तीज व्रत में सुहागिन स्त्रियां निर्जल उपवास रखती हैं। गोधुलि काल में भगवान शिव और माता पार्वती जी का पूजा करके रात्रि में भजन-कीर्तन करती हैं। प्रभात काल में पुन: स्नान, पूजा दान करके व्रत का पारण करती हैं।