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दिव्यता का परिचायक है तथागत अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र

कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने कहा नवनिर्मित अतिथि गृह का नाम तथागत अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र रखना दिव्यता का परिचायक है। गौतम बुद्ध के क्रीड़ास्थली कपिलवस्तु में उनके जीवन दर्शन की प्राप्ति होगी। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय ने आपदा को अवसर में बदलने का काम किया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 10:54 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 10:54 PM (IST)
दिव्यता का परिचायक है तथागत अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र
दिव्यता का परिचायक है तथागत अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र

सिद्धार्थनगर : कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने कहा नवनिर्मित अतिथि गृह का नाम तथागत अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र रखना दिव्यता का परिचायक है। गौतम बुद्ध के क्रीड़ास्थली कपिलवस्तु में उनके जीवन दर्शन की प्राप्ति होगी। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय ने आपदा को अवसर में बदलने का काम किया है। कोरोना संक्रमण काल के दौरान अनेक सुविधाओं से सुसज्जित अतिथि गृह का निर्माण पूरा कर इसे सिद्ध भी किया।

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कुलाधिपति ने गुरुवार को विश्वविद्यालय परिसर में नवनिर्मित अतिथिगृह का वर्चुअल लोकार्पण किया। उन्होंने कहा अतिथि गृह का निर्माण इस सुदूर ग्रामीण अंचल व नेपाल सीमा के निकट होने के कारण आवश्यक था। पर्यटन के ²ष्टि से भी ठहरने की व्यवस्था की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। इस अतिथि गृह में एक साथ अत्यधिक लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। यह लोग एक साथ बैठ भोजन कर सकेंगे। स्टाफ के रुकने, पार्किंग व सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है। विपरीत परिस्थितियों में विश्वविद्यालय निरंतर विकास के कीर्तिमान स्थापित करता रहा। परिसर में शिक्षक व कर्मचारियों के लिए आवास है। बैंक व पोस्ट आफिस भी स्थापित है। कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने कहा विश्वविद्यालय में आने वाले अतिथियों के ठहरने की व्यवस्था नहीं थी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने संसाधन से अतिथि गृह निर्माण की योजना बनाई। यह आसपास के संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। कुलसचिव राकेश कुमार ने कहा तथागत भगवान बुद्ध के नाम से स्थापित अतिथि गृह होना सुखद है। स्थापना दिवस पर रोपे गए औषधीय पौधे

सिद्धार्थनगर : सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे व उनकी पत्नी आशा दुबे ने गुरुवार को स्थापना दिवस पर परिसर में औषधीय पौधे लगाए। आवासों में फूलों के पौधे लगाए गए। कुलपति ने कहा तेजपत्ता, लाल चंदन, रुद्राक्ष, मौलश्री, नागचंपा का आयुर्वेद में अपनी महत्ता है। इन्हें कल्प वृक्ष के रूप में जाना जाता है। यह सभी औषधीय पौधे हैं। पौधारोपण समाज के प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए। पेड़-पौधे ही शुद्ध वायु प्रदान करते हैं। यह पर्यावरण के ²ष्टि से महत्वपूर्ण है। इस मौके पर शिक्षक, अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।


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