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भक्ति गीतों पर देर रात तक झूमते रहे श्रोता

बढ़या चौराहे पर मां भगवती जागरण का आयोजन किया गया। भजन गायक कलाकारों ने भक्ति गीतों से ऐसा समां बांधा कि देर तक श्रोता उसी की धुन पर झूमते देखे गए। कलाकारों ने मनोहारी झांकी भी प्रस्तुत की जो मुख्य आकर्षण का केंद्र रही।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 12:05 AM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 12:05 AM (IST)
भक्ति गीतों पर देर रात तक झूमते रहे श्रोता
भक्ति गीतों पर देर रात तक झूमते रहे श्रोता

सिद्धार्थनगर : बढ़या चौराहे पर मां भगवती जागरण का आयोजन किया गया। भजन गायक कलाकारों ने भक्ति गीतों से ऐसा समां बांधा कि देर तक श्रोता उसी की धुन पर झूमते देखे गए। कलाकारों ने मनोहारी झांकी भी प्रस्तुत की, जो मुख्य आकर्षण का केंद्र रही।

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रात करीब नौ बजे कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं आरती के साथ हुआ। इसके बाद भजन-गीत का दौर जो प्रारंभ हुआ तो उसका सिलसिला देर रात तक चलता रहा। इस बीच गायक कलाकार पंकज गोस्वामी ने कई भजन-गीत अपने अंदाज में गाए। नीलम श्रीवास्तव व उर्मिला सिंह ने भी कई भक्ति गीत प्रस्तुत करते हुए दर्शकों का उत्साह चरम पर पहुंचाया। अध्यक्ष राजेन्द्र गुप्ता, मिटू गुप्ता, बब्लू गुप्ता, मनोज, विनय, अर्जुन, जंगी लाल मौर्या, दिनेश यादव, राधेश्याम प्रजापति, आशीष गुप्ता आदि उपस्थित रहे।

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अहिल्या उद्धार का हुआ संजीव मंचन

बिजौरा : भनवापुर ब्लाक के सिगारजोत स्थित ठाकुर राम जानकी मंदिर परिसर में चल रही रामलीला की चौथी रात कलाकारों ने अहिल्या उद्धार प्रसंग का सजीव मंचन किया। जिसको देखकर श्रोता भावुक हो उठे। कलाकारों ने अहिल्या को सुंदरता से लेकर इंद्र के मन में उसको प्राप्त करन तथा श्राप से पत्थर बनी अहिल्या और फिर त्रेता युग में भवान श्रीराम द्वारा उसका उद्धार करने के प्रसंग का मंचन किया। मंदिर समिति अध्यक्ष अजय यादव, महंथ शत्रुघ्न पाण्डेय, प्रधान छैल बिहारी, दिनेश यादव, बच्चा लाल, राम प्रकाश मौर्य, राजमन आदि मौजूद रहे। राम वनगमन देख छलके सबके आंसू : क्षेत्र के गोपिया गाव में आदर्श रामलीला मंडल एवं स्वतन्त्र जनसेवा समिति के तत्वाधान में चल रहे रामलीला कार्यक्रम में रविवार की रात श्रीराम, लक्ष्मण व पत्नी सीता के साथ मुनि वेश में वन गमन, केवट संवाद, श्रवण लीला और राजा दशरथ मरण की लीलाएं हुईं।

मंचन में कलाकारों ने दिखाया कि राजा दशरथ ने कैकेई को दिए गए वचन का पालन करते हुए प्रभु राम पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ वन को चल देते हैं। जिसे देख पूरी अयोध्या शोक में डूब जाती है। रास्ते में गंगा जी को पार करवाने के लिए श्रीराम-केवट संवाद के साथ ही श्रवण लीला का मंचन किया जाता है। इधर राजा दशरथ पुत्र मोह में विह्वल हो जाते हैं और प्रभु राम के वियोग में अपना प्राण त्याग देते है। सुशील पांडेय, अनुराग, मगन, ध्रुव, सनोज, दिनेश, मनीष आदि मौजूद रहे।


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